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This Article is From Jul 25, 2016

जेल जाने से बचे सलमान खान, काला हिरण और चिंकारा शिकार मामले में हाईकोर्ट से बरी

जेल जाने से बचे सलमान खान, काला हिरण और चिंकारा शिकार मामले में हाईकोर्ट से बरी
सलमान खान (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
निचली अदालत ने सलमान को दो मामलों में क्रमश: एक और पांच साल की सजा सुनाई
जोधपुर हाईकोर्ट ने सलमान खान को बरी किया
अवैध शिकार ये दोनों मामले साल 1998 के हैं
जयपुर: जोधपुर हाईकोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को बड़ी राहत देते हुए काला हिरण और चिंकारा शिकार के मामले में बरी कर दिया है।  सलमान ने निचली अदालत से मिली सजा को जोधपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। निचली अदालत ने सलमान को शिकार के दो अलग-अलग मामलों में क्रमश: एक साल और पांच साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने मामले पर मई के आखिरी सप्ताह में सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अवैध शिकार के दो अलग-अलग मामलों में सलमान के अलावा सात अन्य आरोपी भी शामिल हैं। जोधपुर के सुदूरवर्ती इलाके भावड़ में 26 सितंबर, 1998 को और इसी इलाके के घोड़ा फार्म्स में 28 सितंबर, 1998 को यह अवैध शिकार किए गए थे। सलमान उस समय जोधपुर में फिल्म 'हम साथ साथ हैं' की शूटिंग कर रहे थे। सलमान इस मामले में इससे पहले जोधपुर जेल जा चुके हैं।

कोर्ट में सलमान के वकील की ये रहीं दलीलें

1998 के चिंकारा शिकार मामले में बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान को सुनाई गई पांच साल की कैद की सजा को खारिज करने की दलील देते हुए उनके वकील ने राजस्थान हाईकोर्ट में कहा कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है, क्योंकि मुख्य सरकारी गवाह घटना के वक्त उनके साथ नहीं था।

कैसे किया बयानों पर भरोसा
सलमान के वकील महेश बोरा ने न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर से कहा कि मुख्य सरकारी गवाह हरीश दुलानी 1-2 अक्तूबर, 1998 को दो काले हिरण के कथित शिकार के दौरान अभिनेता के साथ नहीं थे, तो ऐसे में कैसे उनके बयानों पर भरोसा करते हुए वन विभाग और पुलिस ने खान के खिलाफ दो अलग अलग मामले दर्ज किए।

होटल पर वाहन छोड़ने गए थे
बोरा ने कहा कि दुलानी ने बयान दिया कि वह बस होटल पर वाहन छोड़ने गए थे और 1 अक्तूबर की रात को लौट आए। जब वन विभाग ने उनसे पूछताछ की तब उन्होंने कहा कि शिकार की दो और घटनाएं हुई, एक 26 सितंबर, 1998 को और दूसरी 28 सितंबर,1998 को। उन्होंने कहा कि जब बोरा खुद ही मौजूद नहीं थे तब ऐसे में उन पर भरोसा कैसे किया जा सकता है। अतएव कथित शिकार को लेकर खान के खिलाफ मामला नहीं बनता है। दुलारी से जबरन बयान लिया गया। बोरा ने कहा कि इस मामले के किसी भी गवाह ने खान को शिकार करते हुए या उन्हें मरे हुए जानवर लाते नहीं देखा। ऐसे में कैसे खान अभियोजित किये जा सकते हैं जबकि अन्य सभी आरोपी बरी हो चुके हैं।

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