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ग्राउंड रिपोर्ट: खांसी की दवा कैसे बनी जहर? पुणे की फैक्ट्री से NDTV की पड़ताल, बड़ा खुलासा

Cough Syrup Death Case: सरकार की जांच में पाया गया कि दवा में Diethylene Glycol (DEG) मौजूद था, जो एक औद्योगिक सॉल्वेंट और एंटीफ्रीज एजेंट है. मानव दवाओं में इसका कोई इस्तेमाल नहीं होता है.

ग्राउंड रिपोर्ट: खांसी की दवा कैसे बनी जहर? पुणे की फैक्ट्री से NDTV की पड़ताल, बड़ा खुलासा
  • सरकारी टेंडर में सबसे कम दाम पर दवा देने की होड़ ने औद्योगिक केमिकल के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया
  • जांच में ColdRif नामक कफ सिरप में Diethylene Glycol नामक जहरीला औद्योगिक रसायन पाया गया
  • कंपनी Sresan Pharmaceuticals के खिलाफ पुलिस कार्रवाई हुई, औद्योगिक ग्रेड केमिकल के इस्तेमाल का खुलासा हुआ
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Cough Syrup Death Case: मध्यप्रदेश में कफ सिरप पीने से 23 बच्चों की मौत की खबर ने देश को झकझोर कर रख दिया था. आखिर कैसे एक खांसी की दवा जहर बन गई? इसका पता लगाने के लिए दवा बनाने वाली पुणे की फैक्ट्री में एनडीटीवी की टीम पहुंची. वहां पता चला औद्योगिक इस्तेमाल के लिए बने केमिकल से खांसी की दवा बनाई गई थी. इस खबर में आपको बताते हैं कि आखिर क्यों खांसी दूर करने के लिए दी गई दवा उन मासूम बच्चों के लिए जानलेवा साबित हुई.

सरकारी टेंडर का खेल

सरकारी टेंडर में सबसे कम दाम में दवा देने की होड़ ने इस समस्या को जन्म दिया. अच्छी और स्थापित दवा कंपनियां सरकारी टेंडरों से दूर हो गई हैं. कुछ गैर-मौजूद या कागजी कंपनियों ने टेंडर भरे और सप्लाई का ठेका ले लिया. 50 एमएल दवा बनाने में 20 रुपये का खर्चा आता है, फिर भी 4 से 5 रुपये प्रति 50 एमएल का टेंडर भरा गया. पैसे बचाने के लिए कंपनियों ने औद्योगिक केमिकल का इस्तेमाल किया और उसका नतीजा यह हुआ कि दवा जहर बन गई.

जहरीली दवा का सच

घातक दवा का संबंध ColdRif नामक कफ सिरप से जोड़ा जा रहा है. जांच में पाया गया कि इसमें Diethylene Glycol (DEG) नामक औद्योगिक केमिकल था. यह रसायन बच्चों में गंभीर किडनी फेल्योर और मौत का कारण बन सकता है.

मामला सामने आने के बाद केंद्र और राज्य सरकारों ने फौरन जांच शुरू की है. कंपनी Sresan Pharmaceuticals और उसके मालिक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि कुछ कंपनियों ने दवा निर्माण में औद्योगिक ग्रेड के केमिकल (ग्लाइकोल) का इस्तेमाल किया. वजह – कम दाम का टेंडर, खर्च घटाने की दौड़.

कई राज्यों ने संदिग्ध ब्रांड और बैच पर प्रतिबंध लगाया. रिटेल और अस्पतालों में सप्लाई पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है.

कौन सा रसायन था?

सरकार की जांच में पाया गया कि दवा में Diethylene Glycol (DEG) मौजूद था, जो एक औद्योगिक सॉल्वेंट और एंटीफ्रीज एजेंट है. मानव दवाओं में इसका कोई इस्तेमाल नहीं होता है. अगर इसका उपयोग या शुद्धता मानक के अनुसार न हो तो यह जानलेवा साबित होता है.

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