Coronavirus: भारत के गांवों में यदि कोरोना वायरस संक्रमण ज्यादा फैल गया तो क्या होगा? इस सवाल ने ग्यारहवीं में पढ़ने वाले एक छात्र को इतना प्रभावित किया कि उसने इस वायरस को लेकर जागरूकता लाने की ठान ली. फिर सवाल उठा कि बहुभाषी भारत में सभी राज्यों, अंचलों तक के लोगों को कैसे जागररूक किया जाए? छात्र ने इसके लिए नया रास्ता निकाला जसमें भाषा की कोई बाधा नहीं है. जहां भाषा आड़े आए, वहां दृश्य अपना काम कर जाते हैं. लक्ष्य सुबोध नाम के कर्नाटक के छात्र ने ग्रामीण भारत के लिए कोरोना पाठ्यक्रम बना डाला है.
शहर की तो सभी फिक्र करते हैं लेकिन गांवों में कोरोना वायरस को फैलने से कैसे रोका जाए? ग्रामीणों को किस तरह शिक्षित किया जाए? इस सोच ने 11वीं क्लास में पढ़ रहे बेंगलुरु के छात्र लक्ष्य सुबोध को कुछ इस तरह प्रेरित किया कि उसने ग्रामीण भारत के लिए एक पाठ्यक्रम तैयार किया है जिसमें एनिमेटेड वीडियो हैं और म्युज़िक ताकि भाषा आड़े न आए. उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर क्युरिकुलम (Curriculam) तैयार किया है.
छात्र लक्ष्य सुबोध ने कार्टून और म्युजिक के जरिए गांव वालों को कोरोना के खतरे और उससे बचाव के तरीके समझाने की कोशिश की गई है. लक्ष्य सुबोध कहते हैं कि ''हम भले ही शहर में रहते हैं लेकिन अपने देश के गांवों के लिए भी हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है. गांव में हमारे देश की 70 फ़ीसदी आबादी रहती है. सोचिए कि वायरस वह आग है जो फैली तो 70 फीसदी आबादी इससे प्रभावित होगी.''
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लक्ष्य सुबोध ने अपने दोस्तों के साथ पहले कार्टून बनाए फिर एक एजेंसी की मदद से उन्हें एनिमेट करवाया. चंद गैर सरकारी संगठनों के जरिए कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ गांवों में उनकी बनाई हुई फिल्म को दिखाया जा रहा है.
लक्ष्य सुबोध ने बताया कि फिलहाल हम सप्ताह में एक बार ऑनलाइन ट्रेनिंग दे रहे हैं, लेकिन अब हम एक वेबसाइट और यूट्यूब चैनल खोलकर इसके जरिए गांव वालों तक पहुंचना चाहते हैं.
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