देसभर में कोरोनावायरस महामारी को लेकर हालात हर गुजरते दिन के साथ बिगड़ रहे हैं. कोरोना के तेजी से बढ़ते हुए मामलों के चलते अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी बड़ी समस्या बनी हुई है. वहीं, दूसरी ओर कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने से उनके अच्छे इलाज के लिए अधिक मेडिकल स्टाफ की जरूरत भी पड़ रही है. इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 से लड़ने के लिए चिकित्सा कर्मियों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए प्रमुख निर्णयों को अधिकृत किया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, कोविड ड्यूटी को 100 दिनों तक पूरा करने वाले चिकित्सा कर्मियों को नियमित सरकारी भर्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी. मेडिकल इंटर्न्स को उनकी फैकल्टी की देख रेख में कोविड मैनेजमेंट ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा.
बयान में यह भी कहा गया है कि एमबीबीएस (MBBS) के फाइनल ईयर के छात्रों को उनकी फैकल्टी की देख रेख में हल्के कोविड मामलों की टेली-कंसल्टेशन और निगरानी के लिए उपयोग किया जा सकता है. इसके अलावा B.Sc./GNM क्वालिफाइड नर्सों को सीनियर्स डॉक्टरों की देख रेख में फुल टाइम कोविड नर्सिंग ड्यूटी पर लगाया जा सकता है.
बयान में यह भी कहा गया है कि नीट पीजी (NEET-PG) परीक्षा को कम से कम 4 महीने के लिए स्थगित किया जाए. सरकार ने ये फैसला कोविड ड्यूटी में लगे मौजूदा डॉक्टरों पर काम का बोझ कम करने के लिए किया है.
दरअसल ग्रामीण भारत का एक बड़ा इलाका डॉक्टरों की कमी के संकट से जूझ रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ताज़ा रूरल हेल्थ स्टेटिस्टिक्स रिपोर्ट 2019-20 रिपोर्ट के मुताबिक कम्युनिटी हेल्थ सेंटरों में डॉक्टरों की कमी 76.1% है. रूरल हेल्थ स्टेटिस्टिक्स रिपोर्ट 2019-20 में ये खुलासा हुआ है कि ग्रामीण कम्युनिटी हेल्थ सेंटरों में सर्जन की कमी 78.9%, फिजिशियन की 78.2% और शिशु रोग विशेषज्ञों की कमी 78.2% है. महामारी के दूसरे वेव में ग्रामीण भारत के कई इलाकों में कोरोना के मामले बड़ी संख्या में रिपोर्ट किये गए हैं. इन फैसलों से पिछड़े और ग्रामीण इलाकों में कोरोना के इलाज में आ रही चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी.
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