कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन-4 की शुरुआत हो चुकी है. लेकिन 25 मार्च से शुरू हुई इस तालाबंदी ने प्रवासी मजदूरों के सामने चारों ओर से आफत खड़ी है. एक और फैक्टरी के मालिकों ने पैसे देने बंद कर दिए हैं तो दूसरी ओर उनके पास इतने भी पैसे नहीं बचे हैं ताकि वह घर जा सकें. दिल्ली-एनसीआर से अपने घरों की ओर निकले इन मजदूरों की व्यथा की कहानियां हैं. लंबी सड़कों को दूरियां को नापते उनके कदम इंसानियत, दोस्ती की भी कई मिसालें रच रहे हैं. इसी तरह एक दास्तान है याकूब और अमर की दोस्ती की जो कोरोना वायरस से उपजे हालात के बीच अमर हो गई है.मध्य प्रदेश के शिवपुरी में दोस्ती और इंसानियत की मिसाल देखने को मिली. यहां एक दोस्त ने अंतिम समय तक दोस्ती का फर्ज निभाया. दरअसल, 24 साल का एक युवक कुछ अन्य प्रवासियों के साथ गुजरात से उत्तर प्रदेश के लिए ट्रक में सवार होकर निकला था. रास्ते में अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद ट्रक के ड्राइवर ने उसे मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में उतार दिया. इस दौरान, उसका दोस्त याकूब भी ट्रक से उतर गया. वह सड़क के किनारे अपने दोस्त अमृत को गोद में लेकर लोगों से मदद की गुहार लगाता रहा.
इस घटना की तस्वीर और वीडियो सामने आई है, जिसमें याकूब अपने दोस्त अमृत को बचाने के लिए लोगों से मदद मांग रहा है लेकिन यह कोई दृश्य देखकर भी लोग रुके नहीं. हालांकि, बाद में अमृत को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां शनिवार को उसने दम तोड़ दिया.
बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया है, जिसके चलते आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई हैं और दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी मजदूर अपने घर वापस आने के लिए मजबूर हैं. केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए विशेष श्रमिक ट्रेनें भी चलाई हैं. इसके बावजूद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर पैदल, साइकिल, ऑटो रिक्शा और ट्रकों से अपने घर आने की कोशिश कर रहे हैं. इस दौरान कई हादसे भी हुए हैं.
दूसरी ओर, मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश के रीवा के चाकघाट बॉर्डर पर पुलिस ने शनिवार रात पलायन कर रहे मजदूरों को रोकना शुरू किया. देखते ही देखते यहां हजारों की भीड़ जमा हो गई. इतनी भीड़ के लिए प्रशासन भी तैयार नहीं था. ऐसे में खाने की मांग करते हुए मजदूरों ने नारेबाजी शुरू कर दी. जब रात 11 बजे तक भी मजदूरों को खाना नहीं मिला तो मजदूरों ने हंगामा शुरू कर दिया. घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर भारी संख्या पर पुलिस बुला ली गई और फिर पुलिस ने भूखे मजदूरों पर लाठीचार्ज किया.
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