राम मंदिर का न्योता ठुकराना कांग्रेस की रणनीति या मजबूरी? दक्षिण भारत पर नजर तो नहीं?

अब तक विपक्षी गठबंधन INDIA के कई नेताओं ने 22 जनवरी के कार्यक्रम के लिये अपने पत्ते खोल दिये हैं. राम मंदिर को लेकर लगभग वैसा ही माहौल हो गया, जब संसद के नये भवन का उद्घाटन हुआ था और पूरा विपक्षी गठबंधन उससे दूर रहा था. विपक्षी गठबंधन के ज्यादातर नेता अयोध्या के 22 जनवरी के कार्यक्रम का बॉयकॉट कर रहे हैं

खास बातें

  • 7 दिन तक चलेगा प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 6000 लोग होंगे शामिल
  • कांग्रेस के अलावा लेफ्ट और सपा ने जाने से किया इनकार
नई दिल्ली:

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर (Ayodhya Ram temple) में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir consecration)के कार्यक्रम का न्योता ठुकराने वाले विपक्षी दलों पर बीजेपी हमलावर है. राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) जैसे नेता ये कहते हुए नहीं जा रहे हैं कि चुनावी फायदे के लिये आधे बने मंदिर का उद्घाटन बीजेपी-आरएसएस करा रही है. कांग्रेस ने कहा है कि ये कार्यक्रम बीजेपी ने राजनीतिक लाभ के लिए आयोजित किया है. हालांकि, इस आयोजन का विरोध करके कांग्रेस ने इस मामले को पूरी तरह से सियासी बना दिया है. ऐसे में आइए समझते हैं कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता ठुकराना कांग्रेस की रणनीति है या कोई मजबूरी...

कांग्रेस को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में का न्योता कुछ दिन पहले मिला था. पार्टी ने 10 जनवरी को सोशल मीडिया पर एक लेटर शेयर किया, जिसमें उसने राम मंदिर के उद्घाटन में न जाने के फैसले का कारण बताया है. कांग्रेस ने लिखा है कि धर्म निजी मामला है, लेकिन BJP/RSS ने मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम को अपना इवेंट बना लिया है.

कांग्रेस पार्टी से जुड़े लोग बताते हैं कि कांग्रेस लीडरशिप ने ये फैसला 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर ही लिया है. इस बारे में इन 6 खास पहलुओं का ध्यान रखा गया है:-

1) कांग्रेस ने सबसे पहले INDIA ब्लॉक में बात की. सहयोगियों का पक्ष जाना. विपक्षी गठबंधन के ज्यादातर पार्टियों के नेता 22 जनवरी में शिरकत करने में इच्छुक नहीं थे.

2) लेफ्ट पार्टियां, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, एमडीएमके पहले ही राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से दूरी बनाने का ऐलान कर चुके थे.

3) कांग्रेस को लगता है कि उत्तर भारत में तो पार्टी पहले ही कमजोर है. राम मंदिर के कार्यक्रम में जाकर कहीं वो दक्षिण भारत में अपने बढ़ते वोट बैंक का नुकसान ना कर ले.

4) दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु और केरल की राजनीति में सनातनी परंपराओं को आगे बढ़ाने वाली पार्टियों को कम ही पसंद किया जाता है. ऐसे में 22 जनवरी के आयोजन में अयोध्या का दौरा पार्टी की चुनावी सेहत पर विपरीत साबित होता.

5) कांग्रेस ये माहौल बनाना चाह रही है कि प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम  हिंदू धर्म की आस्था को फैलाने का नहीं, बल्कि पीएम मोदी की छवि चमकाने का आयोजन है. 

6) अपने इसी तर्क को साबित करने के लिए 15 जनवरी को यूपी कांग्रेस के नेता अजय राय अयोध्या में राम लला के अस्थाई मंदिर में दर्शन करेंगे.

अब तक विपक्षी गठबंधन INDIA के कई नेताओं ने 22 जनवरी के कार्यक्रम के लिये अपने पत्ते खोल दिये हैं. राम मंदिर को लेकर लगभग वैसा ही माहौल हो गया, जब संसद के नये भवन का उद्घाटन हुआ था और पूरा विपक्षी गठबंधन उससे दूर रहा था. विपक्षी गठबंधन के ज्यादातर नेता अयोध्या के 22 जनवरी के कार्यक्रम का बॉयकॉट कर रहे हैं.

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न्योता ठुकराने के बाद दो धड़ों में बंटी कांग्रेस
वैसे कांग्रेस के बॉयकॉट के फैसले के सियासी नुकसान भी दिखने लगे हैं. बुधवार को प्राण प्रतिष्ठा का न्योता ठुकराते हुए कांग्रेस ने ऐलान किया कि उनका कोई भी नेता प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होगा. वहीं, INDIA अलायंस के कुछ नेता निजी तौर पर देश में बने राम-मय माहौल के विरोध में दिखना नहीं चाहते हैं.

कांग्रेस के इस फैसले पर पार्टी के कई नेताओं ने असहमति जताई है. कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि राम किसी पार्टी के नहीं है. हमारी लड़ाई राम या अयोध्या से नहीं, बीजेपी से है. कुछ लोग कांग्रेस को वामपंथी रास्ते पर ले जा रहे हैं. मैं चाहता हूं कि कांग्रेस नेतृत्व को अयोध्या न जाने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.

कांग्रेस में भी असमंजस
पूरे मामले को लेकर कांग्रेस में भी असमंजस दिख रहा है. कांग्रेस लीडरशिप कहती आई है कि राम मंदिर का निर्माण तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो रहा है, तो फिर आज वो कैसे इसे बीजेपी- आरएसएस का आयोजन कह रही है. वहीं, कांग्रेस का एक धड़े का तर्क है कि अयोध्या में राम लला के मंदिर का ताला तो राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए खुला, तो आज उसका राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का विरोध करना आशंका पैदा करता है.

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किस पार्टी के किन नेताओं ने अस्वीकारा न्योता?
लेफ्ट: सीताराम येचुरी ने निमंत्रण को अस्वीकारा. उन्होंने बीजेपी पर राजनीति में धर्म के इस्तेमाल का आरोप लगाया है.

समाजवादी पार्टी: अखिलेश यादव ने भी न्योते को अस्वीकार कर दिया है. हालांकि, सपा के कुछ विधायक राम मंदिर के कार्यक्रम में जाना चाहते हैं.

टीएमसी: ममता बनर्जी ने भी BJP पर राम मंदिर के राजनीतिक इस्तेमाल का आरोप लगाया है. हालांकि, ममता राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में जाएंगी या नहीं, ये अभी तय नहीं किया गया है.

शिवसेना यूबीटी: उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी को कोई निमंत्रण अब तक नहीं मिला है. संजय राउत ने बीजेपी पर भगवान राम को हाइजैक करने का आरोप लगाया है.

एनसीपी:  शरद पवार ने कहा है कि उन्हें निमंत्रण का इंतज़ार नहीं है. उन्होंने कहा कि जब भाग्य में लिखा होगा, तब राम लला के दर्शन करेंगे.

2019 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत में बीजेपी और कांग्रेस की स्थिति
तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटें हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में यहां कांग्रेस को 8 सीटें मिली हैं. बीजेपी का यहां कोई रिप्रेजेंटेशन नहीं है. केरल की 20 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के पास 15 सीटें हैं, जबकि बीजेपी का यहां भी कोई रिप्रेजेंटेशन नहीं है. तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटें हैं. यहां 4 सीटें बीजेपी के पास हैं और 3 कांग्रेस के पास. 
आंध्र प्रदेश की 25 सीटों में बीजेपी और कांग्रेस का कोई रिप्रेजेंटेशन नहीं है. कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में बीजेपी के पास 25 सीटे हैं. एक सीट कांग्रेस के पास है.

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22 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे होगी प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में 22 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित 6000 दिग्गज शामिल होंगे. इनमें 4000 संत भी शामिल हैं. 

7 दिन तक चलेगा प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम
अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 7 दिन तक चलेगा. 
16 जनवरी को मंदिर ट्रस्ट, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से नियुक्त किए गए यजमान प्रायश्चित समारोह की शुरुआत करेंगे. 
17 जनवरी को 5 साल के रामलला की मूर्ति के साथ एक काफिला अयोध्या पहुंचेगा. 
18 जनवरी को गणेश अंबिका पूजा, वरुण पूजा, मातृका पूजा, ब्राह्मण वरण और वास्तु पूजा के साथ औपचारिक अनुष्ठान शुरू होंगे.
19 जनवरी को पवित्र अग्नि जलाई जाएगी. नवग्रह की स्थापना और हवन किया जाएगा.
20 जनवरी को राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह को सरयू जल से धोया जाएगा, जिसके बाद वास्तु शांति और 'अन्नाधिवास' अनुष्ठान होगा.
21 जनवरी को रामलला की मूर्ति को 125 कलशों के जल से स्नान कराया जाएगा.
22 जनवरी की सुबह की पूजा के बाद दोपहर में 'मृगशिरा नक्षत्र' में रामलला के मूर्ति का अभिषेक किया जाएगा.

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