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शिवराज पाटिल का अंतिम संस्कार, जानें ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए खेत में क्यों दफनाया गया

शिवराज पाटिल के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमारा आपस में घनिष्ठ संबंध था. वह ज्ञानी और अच्छे चरित्र वाले व्यक्ति थे, जो हमेशा देश के लिए सोचते और काम करते थे.

शिवराज पाटिल का अंतिम संस्कार, जानें ध्यान की मुद्रा में बैठे हुए खेत में क्यों दफनाया गया
  • शिवराज पाटिल का लातूर जिले में लिंगायत परंपरा के अनुसार राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया
  • लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेताओं ने अंतिम संस्कार में भाग लिया
  • पाटिल ने सात दशकों तक राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में देश की सेवा की, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में कई सुधार किए
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(लातूर) महाराष्ट्र:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल का शनिवार को महाराष्ट्र के लातूर जिले में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और कर्नाटक के मंत्री ईश्वर खंड्रे सहित कई बड़े नेता लातूर में पाटिल के अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

शिवराज पाटिल लिंगायत समुदाय के एक प्रमुख सदस्य थे. उन्हें लातूर से छह किलोमीटर दूर वरवंती गांव में उनके खेत में, ध्यान की मुद्रा में बैठी हुई स्थिति में दफनाया गया. यह लिंगायत अनुष्ठान इस मान्यता पर आधारित है कि मृतक की आत्मा तुरंत शिव में विलीन हो जाती है और पुनर्जन्म के चक्र के अधीन नहीं होती है, इस तरह आत्मा को शरीर से मुक्त करने के लिए दाह संस्कार की जरूरत नहीं होती है.

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ओम बिरला ने पाटिल के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किया. कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्द्धन सपकाल और लातूर से लोकसभा सदस्य शिवाजी कोलगे भी पाटिल के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. अंतिम संस्कार से पहले पाटिल को बंदूकों की सलामी दी गई. बिरला ने कहा कि पाटिल ने सामाजिक और राजनीतिक में सात दशकों तक देश की सेवा की.

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने कई पदों का प्रतिनिधित्व किया. लोकसभा अध्यक्ष के रूप में उन्होंने इसकी विरासत को एक नया रूप दिया. उन्होंने संसदीय समितियों सहित कई बदलाव किए, जिससे लोकसभा की प्रतिष्ठा नई ऊंचाइयों पर पहुंची. सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उनकी सेवा और योगदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा.

दिवंगत नेता के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उनकी मुलाकात पाटिल से पहली बार 1967 में हुई थी जब वह विधायक बने थे. उन्होंने कहा कि हमारा आपस में घनिष्ठ संबंध था और हम नियमित रूप से मिलते रहते थे. वह ज्ञानी और अच्छे चरित्र वाले व्यक्ति थे, जो हमेशा देश के लिए सोचते और काम करते थे. उन्होंने मराठवाड़ा में भी पूरी ऊर्जा के साथ अच्छा काम किया है.

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वहीं रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि भारत ने एक विनम्र नेता और लोकतंत्र के एक मजबूत स्तंभ को खो दिया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'उन्होंने सच्चे सपूत की तरह भारत के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.'

शिवराज पाटिल 1972 से 1980 के बीच दो बार लातूर से महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य चुने गए. वह 1980, 1984, 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार सात बार लातूर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए. रक्षा राज्य मंत्री (1980-82) के रूप में पहली बार इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल किए जाने के बाद पाटिल को वाणिज्य मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार (1982-83) दिया गया, जहां से उन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, अंतरिक्ष और महासागर विकास (1983-84) में स्थानांतरित कर दिया गया.
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राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान, उन्होंने कार्मिक, रक्षा उत्पादन, नागरिक उड्डयन और पर्यटन मंत्री के रूप में काम किया. पाटिल को 2004 में केंद्रीय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान सुरक्षा में हुई चूक की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 30 नवंबर 2008 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था़.

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