मुंबई:
महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित लातूर जिले में इलाके के निवासियों के बीच पानी को लेकर हुई हिंसक झड़पों के बाद निषेधाज्ञा (धारा 144) लागू कर 20 जल भंडारण टैंकों, और अन्य जल स्रोतों के आसपास पांच से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है।
लातूर के पुलिस प्रमुख ज्ञानेश्वर चव्हाण ने कहा कि किसी भी वक्त कुओं तथा सार्वजनिक जल भंडारण टैंकों के आसपास पांच से ज़्यादा लोगों को एकत्र नहीं होने दिया जाएगा, क्योंकि पानी को लेकर दंगों की आशंका बनी हुई है। पुलिस प्रमुख ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "यहां हिंसा की कुछ घटनाएं हो चुकी हैं..."
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लगभग 400 किलोमीटर पूर्व में बसे लातूर में रहने वाले लगभग पांच लाख लोग पिछले कई वर्षों से मॉनसून की औसत से कम बारिश की मार झेल रहे हैं, और पानी के संकट से जूझते आ रहे हैं। महाराष्ट्र के सूखा-प्रभावित मराठवाड़ा क्षेत्र के हिस्से लातूर से हाल ही में हज़ारों लोग, जिनमें ज़्यादातर गरीब किसान थे, पानी की कमी के चलते पलायन कर चुके हैं।
पिछले साल भी इस क्षेत्र में पानी की किल्लत की वजह से फसल के बर्बाद हो जाने तथा कर्ज़ा नहीं चुका पाने के चलते लगभग 1,400 किसानों ने खुदकुशी कर ली थी। इस साल अधिकारियों का मानना है कि हालात कहीं ज़्यादा खराब होंगे, क्योंकि मॉनसून से कई महीने पहले से ही यहां के लगभग सभी जलाशय सूखे पड़े हैं।
अधिकारियों के मुताबिक पानी अब नलों के जरिये महीने में एक बार सिर्फ घरों को दिया जा रहा है, और किल्लत से निपटने के लिए भेजे गए पानी के 200 टैंकरों में से कुछ को लूट लिए जाने की वारदात भी हुई हैं।
अधिकारियों ने बताया कि यहां पानी को लेकर झगड़े रोज़मर्रा की बात हो गए हैं, इसलिए दो महीने के लिए यह निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, ताकि पानी के मुद्दे पर किसी संभावित हिंसा को टाला जा सके।
(इनपुट भाषा से भी)
लातूर के पुलिस प्रमुख ज्ञानेश्वर चव्हाण ने कहा कि किसी भी वक्त कुओं तथा सार्वजनिक जल भंडारण टैंकों के आसपास पांच से ज़्यादा लोगों को एकत्र नहीं होने दिया जाएगा, क्योंकि पानी को लेकर दंगों की आशंका बनी हुई है। पुलिस प्रमुख ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "यहां हिंसा की कुछ घटनाएं हो चुकी हैं..."
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से लगभग 400 किलोमीटर पूर्व में बसे लातूर में रहने वाले लगभग पांच लाख लोग पिछले कई वर्षों से मॉनसून की औसत से कम बारिश की मार झेल रहे हैं, और पानी के संकट से जूझते आ रहे हैं। महाराष्ट्र के सूखा-प्रभावित मराठवाड़ा क्षेत्र के हिस्से लातूर से हाल ही में हज़ारों लोग, जिनमें ज़्यादातर गरीब किसान थे, पानी की कमी के चलते पलायन कर चुके हैं।
पिछले साल भी इस क्षेत्र में पानी की किल्लत की वजह से फसल के बर्बाद हो जाने तथा कर्ज़ा नहीं चुका पाने के चलते लगभग 1,400 किसानों ने खुदकुशी कर ली थी। इस साल अधिकारियों का मानना है कि हालात कहीं ज़्यादा खराब होंगे, क्योंकि मॉनसून से कई महीने पहले से ही यहां के लगभग सभी जलाशय सूखे पड़े हैं।
अधिकारियों के मुताबिक पानी अब नलों के जरिये महीने में एक बार सिर्फ घरों को दिया जा रहा है, और किल्लत से निपटने के लिए भेजे गए पानी के 200 टैंकरों में से कुछ को लूट लिए जाने की वारदात भी हुई हैं।
अधिकारियों ने बताया कि यहां पानी को लेकर झगड़े रोज़मर्रा की बात हो गए हैं, इसलिए दो महीने के लिए यह निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, ताकि पानी के मुद्दे पर किसी संभावित हिंसा को टाला जा सके।
(इनपुट भाषा से भी)
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