कांग्रेस ने सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने पर सवाल उठाए तो संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने पलटवार किया. प्रोटेम स्पीकर का पद लोकसभा के पहले सत्र के कुछ दिनों के लिए ही होता है. प्रोटेम स्पीकर आमतौर पर नए सांसदों को शपथ दिलाते हैं और पूर्णकालिक अध्यक्ष के लिए चुनाव कराते हैं. नवनिर्वाचित 18वीं लोकसभा की पहली बैठक के दो दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर सकते हैं. एक बार जब स्पीकर का चुनाव हो जाता है तो प्रोटेम पद का अस्तित्व समाप्त हो जाता है.
विवाद क्या है?
कांग्रेस अपने दलित नेता और केरल से आठ बार के सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को प्रोटेम स्पीकर नामित किए जाने की उम्मीद कर रही थी और महताब की नियुक्ति की आलोचना की है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने इसे "लोकतांत्रिक और संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का प्रयास" बताया. उन्होंने पूछा, "सरकार को बताना चाहिए कि उसने के सुरेश को नजरअंदाज़ क्यों किया... वह कौन सा कारण था, जिसने उन्हें अयोग्य ठहराया?"
किरेन रिजिजू ने जताया अफसोस
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस पर पलटवार करते हुए कहा, "मुझे बड़े अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है... मुझे शर्म आती है कि कांग्रेस इस तरह की बातें करती है. मुझे उम्मीद थी कि यह लोकसभा सत्र अच्छे मूड के साथ शुरू होगा... और हम एक उत्पादक और को-ऑपरेटिव माहौल में संसद में भाग लेंगे, लेकिन मैं कल से जो देख रहा हूं, खासकर प्रोटेम स्पीकर को लेकर कांग्रेस ने जो मुद्दा बनाया है...कांग्रेस बहुत सारे गलत काम कर रही है, वह लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने कहा कि हमने प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते समय नियमों का उल्लंघन किया. मैं आपको बताना चाहता हूं...जो भी कदम उठाए गए, वे नियमों के तहत उठाए गए...कांग्रेस को राजनीति नहीं करनी चाहिए..."
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सुरेश को क्यों नहीं बनाया, रिजिजू ने बताया
रिजिजू ने कहा कि परंपरा यह तय करती है कि सबसे लंबे समय तक लगातार सेवा करने वाले सांसद को प्रोटेम के रूप में नियुक्त किया जाता है, और इस वजह से पसंद भर्तृहरि महताब बने हैं. महताब ने इस साल भाजपा में शामिल होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजद के हिस्से के रूप में 1998 से 2019 तक कटक से ठह बार जीत हासिल की थी. यह उनकी सातवीं जीत है. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी सुरेश को आठ बार के सांसद के रूप में स्वीकार किया, लेकिन 1998 और 2004 में ब्रेक की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, "वह लगातार नहीं जीते." उन्होंने रेखांकित किया कि महताब लगातार सात बार कटक से जीते हैं.
#WATCH | On BJP MP Bhartruhari Mahtab appointed pro-tem Speaker of 18th Lok Sabha, Parliamentary Affairs Minister Kiren Rijiju says, "...I have to say it with great regret that I feel ashamed that the Congress party talks like this. First of all, they created an issue about the… pic.twitter.com/iKwodsMRg3
— ANI (@ANI) June 21, 2024
1956 और 1977 में टूटी थी परंपरा
रिजिजू ने प्रेस को बताया कि प्रोटेम स्पीकर का चयन ब्रिटिश संसद की 'सदन के पिता' की अवधारणा पर आधारित है, जिसमें सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सांसद को यह उपाधि दी जाती है. रिजिजू ने कहा कि महताब को प्रोटेम के रूप में चुना जाना, इसी परंपरा के अनुरूप था. साथ ही रिजिजू ने ओडिशा के सबसे वरिष्ठ सांसद में से एक का उपहास करने के लिए कांग्रेस की आलोचना भी की. समाचार एजेंसी पीटीआई ने कहा, हालांकि, 1956 और 1977 में इस परंपरा का अपवाद थे. '56 में सरदार हुकम सिंह को प्रोटेम स्पीकर नामित किया गया और उसके बाद 77 में डीएन तिवारी को. ये दोनों उस समय संसद के सबसे वरिष्ठ सदस्य नहीं थे.
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