- चंडीगढ़ शहर की स्थापना 1952 में हुई और इसे पंजाब तथा हरियाणा दोनों की संयुक्त राजधानी बनाया गया था
- शहर का मास्टर प्लान प्रसिद्ध आर्किटेक्ट ली कॉर्बुजिए ने तैयार किया था जो इसे 60 सेक्टरों में विभाजित करता है
- चंडीगढ़ शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसा है और इसका वन क्षेत्र 8.5 प्रतिशत है जो देश में सबसे अधिक है
द सिटी ब्यूटीफुल नाम से मशहूर चंडीगढ़ फिर चर्चा में है. खबरें आईं कि केंद्र सरकार यहां का प्रशासन सीधे अपने हाथों में ले सकती है. संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 में शामिल करना चाहती है. इसे पूरी तरह केंद्र शासित बनाकर यहां लेफ्टिनेंट गवर्नर तैनात किया जा सकता है. हालांकि विपक्षी दलों का विरोध तेज होने के पहले ही सरकार ने साफ कर दिया कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. आइए जानते हैं कि आजादी के बाद बनी भारत का पहली मॉडर्न सिटी का इतिहास भूगोल क्या है, कैसे इस शहर की स्थापना हुई.चंडीगढ़ जो शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसा है, ये शानदार हेरिटेज इमारतों, रास्तों के साथ ऐसा हरा-भरा इलाका है, जहां बसने की ख्वाहिश हर दिल में रहती है.चंडीगढ़ का इतिहास बेहद दिलचस्प है.
सिंधु सभ्यता काल से जुड़ा
चंडीगढ़ का इतिहास 8 हजार साल पहले सिंधु घाटी और हड़प्पा सभ्यता काल से जोड़ा जाता है. भारत का विभाजन 1947 में जब हुआ तो पाकिस्तान के हिस्से में लाहौर चला गया, तब पंजाब प्रदेश की नई राजधानी बनाने की जरूरत आई. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1950 में नई आधुनिक राजधानी बनाने का निर्णय किया. प्रख्यात आर्किटेक्ट ली कॉर्बुजिए (Le Corbusier) ने चंडीगढ़ ने इसका डिजाइन तैयार किया.

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शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसा
पंजाब और केंद्र सरकार ने मार्च 1948 में शिवालिक माउंटेन रेंज की घाटी में इस दलदली इलाके को पंजाब की नई राजधानी के तौर पर चुना था, जो हिमाचल, उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों से ज्यादा दूर नहीं था. 1912-13 के ब्रिटिश गैजेट के अनुसार, कभी ये इलाका अंबाला जिले का हिस्सा था. चंडीगढ़ का वन क्षेत्र 8.5 फीसदी है, जो गोवा और लक्षद्वीप के बाद देश में सबसे ज्यादा है.
- 8 हजार साल पुराना चंडीगढ़ का इतिहास सिंधु सभ्यता से जुड़ा
- 1947 में लाहौर पाकिस्तान में चला गया तो पंजाब को नई राजधानी की जरूरत
- 1950 में नेहरू ने पंजाब की नई राजधानी के लिए आदेश दिया
- 1952 में चंडीगढ़ शहर की बुनियादी रखी गई थी
- 60 सेक्टरों में बसाया गया है खूबसूरत शहर चंडीगढ़
- 1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा राज्य का गठन हुआ
- 114 वर्ग किलोमीटर के दायरे में बसा है ये शहर
- 2 हजार एकड़ से ज्यादा पार्कों के विकास के लिए
कभी यहां दलदल वाली झील थी
जहां आज चंडीगढ़ शहर बसा है, वहां कभी एक दलदल वाली बड़ी झील थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे एक मॉडर्न कैपिटल सिटी बनाने का सपना देखा था.पहले अमेरिकी वास्तुकार अल्बर्ट मेयर और उनके सहयोगी पोलैंड के आर्किटेक्ट मैथ्यू नोविकी को इसके मास्टरप्लान का जिम्मा सौंपा गया था. लेकिन नोविकी के प्लेन क्रैश में निधन हो गया. मेयर ने फिर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई तो नेहरू के आदेश पर प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर पीएल वर्मा ने नए आर्किटेक्ट की तलाश शुरू की और स्विट्जरलैंड मूल के फ्रांसीसी वास्तुकार कॉर्बुजिए का नाम सामने आया.

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40 हजार पाउंड की जॉब छोड़कर आई कॉर्बुजिए की टीम
कहा जाता है कि ली कॉर्बुजिए की टीम के आर्किटेक्ट जेन ड्रयू और एडविन मैक्सवेल 40 हजार पाउंड की नौकरी छोड़कर 3 हजार पाउंड के वेतन पर प्रोजेक्ट से जुड़े. वास्तुकार पियरे जेनरे भी इसी कोर टीम का हिस्सा थे. कोर्बुजिए की काबिलियत ही थी कि सात देशों में उनके 17 प्रोजेक्ट यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में थे. आज ये रकम करोड़ों में होती.
चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश कब बना
चंडीगढ़ की बुनियाद 1952 में रखी गई. पंजाब से अलग हरियाणा राज्य के गठन के वक्त चंडीगढ़ को लेकर विवाद हुआ तो 1 नवंबर 1966 को इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया. इसे दोनों प्रदेशों की राजधानी बनाया गया.
पंजाब को 7 अक्टूबर 1953 को उसकी नई राजधानी चंडीगढ़ के तौर पर मिली, लेकिन तब तक उसका नाम तय नहीं था. स्थापना दिवस समारोह में शामिल भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने तब कालका राजमार्ग के पास पौराणिक चंडी माता मंदिर के पुजारी से राय मांगी तो उन्होंने चंडी माता के नाम पर इसे चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन था, जो ब्रिटिश काल से चला आ रहा था.

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चंडीगढ़ को लेकर विवाद
पंजाब से अलग हरियाणा राज्य के गठन के वक्त चंडीगढ़ को लेकर विवाद हुआ तो 1 नवंबर 1966 को इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया. इसे दोनों प्रदेशों की राजधानी बनाया गया. पंजाब का कहना है कि ये पंजाबी भाषा बोलने वाले ज्यादा हैं, लिहाजा ये पंजाब की राजधानी होनी चाहिए. जबकि हरियाणा सरकार हिन्दी और हरियाणवी भाषा के आधार पर यही दावा करती है. चंडीगढ़ अभी पंजाब और हरियाणा दोनों प्रदेशों की संयुक्त राजधानी है.
संविधान का अनुच्छेद 240 क्या है
संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में वो केंद्रशासित प्रदेश आते रहैं, जहां कोई विधानसभा या निर्वाचित सरकार नहीं है. लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, अंडमान निकोबार ऐसे ही केंद्रशासित प्रदेश है. जबकि पुडुचेरी ऐसा केंद्रशासित प्रदेश है, जहां विधानसभा है.

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अभी क्या है व्यवस्था
अभी पंजाब के गवर्नर ही चंडीगढ़ के प्रशासक की जिम्मेदारी संभालते हैं.अगर नया प्रावधान लागू होने की बात आती तो चंडीगढ़ में लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किया जा सकता था. हालांकि अभी पंजाब के राज्यपाल हाथो में ही चंडीगढ़ की प्रशासनिक शक्तियां आती हैं. शुरुआत में मुख्य सचिव इस केंद्रशासित प्रदेश के स्वतंत्र प्रशासक का काम संभालते थे. मगर 1 जून 1984 से लागू बदलावों के बाद पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ के प्रशासक बने और मुख्य सचिव केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासक के सलाहकार की भूमिका में आ गए.
हरियाणा राज्य की स्थापना
पंजाब देश की स्वतंत्रता के बाद भी बड़े राज्यों से एक था. जब भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो पंजाब रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1966 लाया गया. इसमें पंजाब से अलग राज्य की स्थापना हरियाणा के तौर पर हुई, जिसमें हिन्दी और हरियाणवी बोली बोलने वालों की अधिकता थी.
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