प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए जैमर लगाकर इंटरनेट बंद करने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गई है. कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और MeitY से पूछा है कि शिकायत के संबंध में क्या मानक प्रोटोकॉल हैं?
कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी है कि बैंक परीक्षा या सार्वजनिक परीक्षाओं के बारे में प्रोटोकॉल क्या है? कोर्ट ने परीक्षा में नकल रोकने के लिए राज्यों में इंटरनेट बंद करने को चुनौती देने वाली सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर की जनहित याचिका पर ये नोटिस जारी किया है.
याचिका में कहा गया है कि जैमर लगाकर धोखाधड़ी को रोका जा सकता है लेकिन इसे किसी क्षेत्र में इंटरनेट बंद करने का आधार नहीं बनाया जा सकता है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा - ये आदेश सार्वजनिक डोमेन में नहीं हैं और इन्हें प्राप्त करने के लिए बहुत काम करना पड़ता है.
बतौर ग्रोवर, राजस्थान सरकार ने हाई कोर्ट से कहा कि कोई शटडाउन नहीं होगा लेकिन इसके तुरंत बाद शटडाउन लागू कर दिया गया. ग्रोवर ने अदालत से कहा कि नकल रोकने के लिए परीक्षक तलाशी भी ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब इंटरनेट को बुनियादी सेवाओं तक पहुंचने की आवश्यकता है. जैसे मनरेगा लाभ आदि है, वैसे ही यह अखिल भारतीय सेवा है..
इस पर CJI ने कहा: हर जिले में जैमर होने से लागत पर असर पड़ सकता है. ग्रोवर ने कहा कि संसदीय समिति का भी कहना है कि धोखाधड़ी के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि हम शायद देश में अब तक के एकमात्र रीयलटाइम इंटरनेट शटडाउन ट्रैकर हैं.
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