
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया गया. जैसे ही जाति जनगणना कराने का ऐलान हुआ, वैसे ही राजनीतिक दलों ने मौका लपक लिया और खुद को इस फैसले का श्रेय देने लगे. अब कोई इसे पीएम मोदी का मास्टर स्ट्रोक बता रहा है तो कोई राहुल गांधी की सफलता. वजह साफ है कि राहुल गांधी कई बार जाति जनगणना के मुद्दे को उठा चुके हैं. वहीं पूर्व यूपी सीएम अखिलेश यादव भला कैसे पीछे रह सकते हैं. उन्होंने सरकार के इस फैसले को इंडिया अलायंस की जीत बताया. जाति जनगणना पर जो फैसला हुआ, उसका श्रेय लेने की तमाम दलों में होड़ मच गई है. बिहार में तो जाति जनगणना वाले फैसले का श्रेय लेने के लिए पोस्टर तक लग गए.

जाति जनगणना का श्रेय लेने के लिए पोस्टर वॉर
कांग्रेस, राजद, जेडीयू और सभी विपक्षी दल केंद्र सरकार के फैसले पर खुद का क्रेडिट बता रही है. पटना के अलग-अलग चौक चौराहे पर राजद नेताओं के द्वारा कई पोस्टर लगाए गए हैं. पोस्टर के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि महागठबंधन के नेताओं का संघर्ष का यह फल है. पहले पोस्टर में लिखा गया है कि केंद्र सरकार के द्वारा, जातीय जनगणना कराई जाने का निर्णय, राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव सहित महागठबंधन के तमाम नेताओं का संघर्षो की जीत है.

बिहार सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भला ये मौका कहां चूकना चाहती थी. पटना के अलग अलग चौक चौराहे पर जेडीयू के तरफ से पोस्टर लगाया गया है, पोस्टर में पीएम मोदी और सीएम नीतीश की तस्वीर लगाई गई है और लिखा है कि नीतीश कुमार ने दिखाया अब देश ने अपनाया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद, जातिगत जनगणना बिहार से भारत तक, अब होगी गिनती बनेगी सबकी नीति, जातिगत जनगणना का ऐतिहासिक फैसला.
एक पोस्टर्स में लिखा है कि लालू जी एवं तेजस्वी जी को हार्दिक बधाई. केंद्र सरकार की अगर नियत साफ है तो बिहार में बढ़ी हुई आरक्षण सीमा को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करें. वहीं दूसरे पोस्टर में लिखा गया है कि लोग झुकते है, झुकाने वाला चाहिए, सरकार को भी आखिर लालू जी और तेजस्वी जी के बात माननी ही पड़ी. तेजस्वी जी ने ठाना है जनता का काम विपक्ष में रह कर करवाना है. जब सत्ता में आएंगे तो, जो बोला है वो करेंगे. जातिगत जनगणना की जीत पर बिहार और देशवासियों को मुबारकबाद.

जाति जनगणना पर क्या बोले कांग्रेस नेता राहुल गांधी
कांग्रेस ने अगली जनगणना में जातिगत गणना कराए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का बुधवार को समर्थन किया और यह भी कहा कि सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि यह कब तक होगा तथा किस प्रकार से होगा. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह सरकार के फैसले का समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को बताना चाहिए कि यह किस तिथि तक होगी. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और विपक्ष ने पूरे देश में जमीनी स्तर पर अभियान चलाया, सरकार का यह फैसला उसी का नतीजा है. कांग्रेस नेता ने यह संदेह जताया कि कहीं इस फैसला का हस्र भी महिला आरक्षण अधिनियम की तरह न हो.

हमने कहा था कि हम ‘जातिगत गणना' करा के ही मानेंगे...
राहुल गांधी ने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा, ‘‘जातिगत गणना पहला कदम है, यह दरवाजा खोलने का तरीका है. उसके बाद विकास का काम शुरू होगा.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने संसद में कहा था कि हम ‘जातिगत गणना' करवा के ही मानेंगे, साथ ही आरक्षण में 50 प्रतिशत सीमा की दीवार को भी तोड़ देंगे. पहले तो नरेन्द्र मोदी कहते थे कि सिर्फ चार जातियां हैं, लेकिन अचानक उन्होंने जातिगत गणना कराने की घोषणा कर दी.'' लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘हम सरकार के इस फैसले का पूरा समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को इसकी समयसीमा बतानी होगी कि जातिगत गणना का काम कब तक पूरा होगा.''
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सपा प्रमुख अखिलेश यादव
राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हमारा एक दृष्टिकोण है, लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार किया, इसलिए हम उन्हें धन्यवाद देते हैं. सरकार को तिथि बतानी चाहिए कि कब तक जातिगत गणना का काम पूरा हो जाएगा. इसके अलावा विकास का दृष्टिकोण भी हमारे सामने रखा जाना चाहिए.'' उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना जातिगत गणना के लिए एक मॉडल बना है और यह एक ब्लूप्रिंट बन सकता है। हम जातिगत गणना को डिजाइन करने में सरकार की मदद करेंगे, क्योंकि ये डिजाइन बहुत जरूरी है.'' कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार के फैसले को सही कदम करार देते बुधवार को कहा कि जल्द से जल्द बजट का प्रावधान कर, जनगणना और जातिगत गणना का काम पूरी पारदर्शिता के साथ शुरू किया जाए.

जाति जनगणना के फैसला पर क्या बोले अश्विनी वैष्णव
बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जातिगत जनगणना को मंजूरी दी गई. सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि कांग्रेस की सरकारों ने जाति जनगणना का विरोध किया. 1947 के बाद से जाति जनगणना नहीं हुई. जाति जनगणना की जगह कांग्रेस ने जाति सर्वे कराया, यूपीए सरकार में कई राज्यों ने राजनीतिक दृष्टि से जाति सर्वे किया है. उन्होंने आगे कहा था कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा. एक मंत्रिमंडल समूह का भी गठन किया गया था, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना की संस्तुति की थी. इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना के बजाय, एक सर्वे कराना ही उचित समझा, जिसे सीईसीसी के नाम से जाना जाता है.
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