
Caste Census: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है. कैबिनेट की बैठक के बाद मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने की घोषणा की है. सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सरकार के इस फैसले को बिहार चुनाव से पहले बड़े मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है. मोदी सरकार ने एक तरह से विपक्ष के हाथों से बड़ा मुद्दा छीन लिया है.
मोदी सरकार ने खेला मास्टरस्ट्रोक
बता दें कि 2023 में बिहार की महागठबंधन सरकार ने अति पिछड़ों और दलितों का हितैषी बनकर जातीय सर्वे करवाया था लेकिन अब तो अब मोदी सरकार ने मास्टरस्ट्रोक लगाकर खुद को अति पिछड़ों और दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बता दिया है. जनगणना और आरक्षण में कितना समय लगेगा, ये तो कुछ दिन में साफ होगा, लेकिन फिलहाल बिहार के आगामी चुनाव में पार्टी इसका फायदा उठाती जरूर दिख रही है.
जाति जनगणना पर सरकार के फैसले के बाद अलग-अलग दलों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हुईं. बिहार के बीजेपी दफ्तर में इसका जश्न मन रहा है. राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसका श्रेय लिया है और समर्थन किया है, वहीं तेजस्वी भी पटाखे फोड़कर इसका श्रेय लेते दिख रहे हैं, लेकिन वो कहते हैं ना हाथी घूमे गांव-गांव, जिसका हाथी उसी का नाम, यानी ये फैसला मोदी सरकार है तो इसका फायदा भी मोदी सरकार के ही खाते में जाएगा.
29 साल पहले जनता दल के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा की समाजवादी सरकार के केंद्रीय कैबिनेट द्वारा जातिगत जनगणना के निर्णय को पलटने वाली NDA सरकार को दुबारा उस निर्णय पर निर्णय लेने के लिए बाध्य करने वाले आदरणीय लालू जी समेत सभी समाजवादियों की जीत पर पटाखा फोड़ सामाजिक न्यायवादियों… pic.twitter.com/sAo1d6XMpx
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) April 30, 2025
बिहार चुनाव नया मोड़ दे सकता है ये फैसला
हाल के समय में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जाति जनगणना बड़े जोर-शोर से मुद्दा उठाया था. माना जा रहा है कि जाति जनगणना कराने का फैसला बिहार चुनाव को नया मोड़ सकता है, क्योंकि बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण बहुत महत्वपूर्ण है. मोदी सरकार के फैसले को बिहार की राजनीति से इस लिहाज से भी जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि तेजस्वी और नीतीश कुमार की महागठबंधन सरकार ने 2023 में जातिगत सर्वे कराया था. इसके बाद जाति जनगणना का मुद्दा पूरे देश में सुर्खियों में रहा. खबरों के मुताबिक- बिहार के आगामी चुनावों में भी वे इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की प्लानिंग कर रहे थे.
लोकसभा चुनावों में जाति जनगणना मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया था
गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान अधिकांश विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था और ऐलान किया था कि अगर उनकी सरकार बनती है तो जाति जनगणना कराई जाएगी. अब मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने की मंजूरी देते हुए विपक्ष की बाजी पलट दी है.
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- हमने कहा था ना जातिगत जनगणना करवा के ही मानेंगे
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार के फैसले पर कहा कि हमने संसद में कहा था कि हम 'जाति जनगणना' करवा के ही मानेंगे. पहले तो पीएम मोदी कहते थे कि देश में सिर्फ चार जातियां हैं, लेकिन अचानक से उन्होंने जाति जनगणना कराने की घोषणा कर दी. हम सरकार के इस फैसले का पूरा समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को इसकी टाइमलाइन बतानी होगी कि जाति जनगणना का काम कब तक पूरा होगा.
कांग्रेस का एकमात्र बचा खिलौना भी चला गया : बीजेपी प्रवक्ता
बीजेपी प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि जाति जनगणना वास्तविकता बनने जा रही है. प्रधानमंत्री और पूरे मंत्रिमंडल को इस निर्णय के लिए बधाई, लेकिन अब कांग्रेस का क्या? बचा हुआ एकमात्र खिलौना भी चला गया.
अजय आलोक ने कहा कि याद रखिए, यह एक मील का पत्थर है, क्योंकि स्वतंत्र भारत में पहली बार यह जाति जनगणना होने जा रही है. जेडीयू नेता राजीव रंजन ने कहा कि मोदी सरकार ने 1931 के बाद पहली बार देश में जातीय जनगणना कराने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है. यह कदम सदियों की असमानता को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दिशा में लगातार प्रयास किए और बिहार में जातीय सर्वेक्षण कर पूरे देश के लिए आधार तैयार किया.
इंडी गठबंधन की राजनीति पर लगा पूर्ण विराम : केशव प्रसाद मौर्य
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य ने कहा कि पीएम मोदी के जाति जनगणना के ऐलान के बाद जाति आधारित जनगणना के नाम पर ढोंग करने वाले दलों कांग्रेस, सपा, राजद और इंडी गठबंधन अब जनता को मुंह दिखाने लायक नहीं हैं. इस फ़ैसले से कांग्रेस और सपा सहित इंडी गठबंधन की राजनीति का पूर्ण विराम हो गया है. आज रात भाजपा और मोदी विरोधियों को नींद नहीं आएगी.
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