विज्ञापन
This Article is From Dec 31, 2020

COVID-19 से उबरीं महिलाओं के मासिक चक्र में गड़बड़ी के मामले, डॉक्टरों ने बताई ये वजह

कोविड-19 का वायरस पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के लिए कम घातक है लेकिन महिलाओं में भी कोरोना संक्रमण के बाद स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं.

COVID-19 से उबरीं महिलाओं के मासिक चक्र में गड़बड़ी के मामले, डॉक्टरों ने बताई ये वजह
प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:

कोविड-19 का वायरस पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के लिए कम घातक है लेकिन महिलाओं में भी कोरोना संक्रमण के बाद स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही हैं. कोविड रिकवरी के बाद कई मामले ऐसे हैं जिनमें महिला के मासिक धर्म में काफी बदलाव देखने को मिला है. अचानक होर्मोनल बदलाव के कारण विशेषज्ञों ने प्रेगनेंसी से जुड़ी चिन्ताओं की ओर भी इशारा किया है.

पुणे के मदरहुड अस्पताल में डेप्युटी नर्सिंग सपेरिटेंडेंट 44 साल की सुजाता नित्नावरे, अगस्त महीने में कोरोना पोज़िटिव हुईं, रिकवरी के बाद सब ठीक था लेकिन अगले महीने से ही 15 दिनों का लम्बा पीरियड और हेवी ब्लीडिंग के साथ मासिक चक्र में अनियमितता देख रही हैं, इलाज चल रहा है.

सुजाता नित्नावरे ने बताया, ''ठीक होने के अगले महीने में मुझे पीरियड तो आया लेकिन फ़्लो बहुत बढ़ गया. पांच दिन की जगह 10-15 दिन पीरियड आ रहे थे. क्लाट्स जा रहे थे. मैं टेंशन में थी. इस दौरान मैं डॉ. स्वाति गायकवाड़ से मिली उन्होंने कहा कि ये पोस्ट कोविड साइडइफ़ेक्ट हो सकता है. मुझे होर्मोनल करेक्शन मेडिसिन दी गयी, इसके बाद फ़्लो तो कंट्रोल हुआ लेकिन उसके बाद भी इरेग्युलर मेंस शुरू रहा, मैं इसका इलाज करवा रही हूं.''

गायनकॉलिजस्ट बताते हैं कि पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) यानी क़रीब 40-50 साल की उम्र वाली कोविड मरीज़ों में यह ज़्यादा दिख रहा है. संक्रमण के दौरान तनाव और डर के कारण हार्मोन्स में बदलाव को भी वजह माना जा रहा है.

डॉ स्वाति गायकवाड ने बताया कि 40 से लेकर 45-50 एजग्रुप की महिलाओं में यह ज़्यादा देखा जा रहा है, जो Perimenopause एजग्रुप मानी जाती हैं. इनमें कोविड की बीमारी भी थोड़ी ज़्यादा लम्बी दिखती है और इन्हीं लोगों में ज़्यादा देखा गया है कि हेवी पीरियड आना, देरी से आना, हेवी ब्लड क्लॉट के साथ पीरियड आना. इसके इलाज के लिए काफ़ी महिलाएं गायनकॉलिजस्ट के पास आ रही हैं.''

मुंबई के गायनकॉलिजस्ट डॉ बिपिन पंडित ने कहा, ''कोविड में स्ट्रेस लेवल जो बढ़ता है, काम तनाव, उसकी वजह से होर्मोनल चेंजेज़ होते हैं उसकी वजह से पीरियड अफ़ेक्ट होता है. कभी कभी पीरियड बंद होता है या ज़्यादा हो जाता है.''

फ़ोर्टिस हॉस्पिटल की गायनकॉलिजस्ट डॉ नेहा बोथरा ने कहा, ''कोविड के दौरान हमने देखा है कि वेस्टिंग होती है और फ़ैट लॉस होता है शरीर में, ऐसे में फ़ैट सोल्यूबल हॉर्मोन होते हैं, जो होरोमोनल बैलेन्स चेंज हो जाता है. इसकी वजह से हो सकता है की पीरियड डिस्टर्ब्ड रहें.''

कोविड के कारण महिलाओं में होर्मोनल बदलाव से विशेषज्ञों में प्रेग्नन्सी से जुड़ी चिन्ताएं भी हैं.  डॉ बिपिन पंडित ने कहा, ''अगर कोविड की वजह से 2-3-4 महीने तक पीरियड अफ़ेक्ट होता है तो ज़ाहिर है. ऑव्युलेशन अफ़ेक्ट हो सकता है और प्रेग्नन्सी के चांसेस भी अफ़ेक्ट हो सकते हैं. जो प्रेगनेंट मरीज़ हैं वो ज़्यादा वल्नरबल रहते हैं उनकी इम्यूनिटी कम रहती है. अगर उनको कोविड हुआ तो ज़्यादा तकलीफ़ होने का डर रहता है. इसलिए प्रेग्नन्सी में कोविड से बचना बहुत ज़रूरी है.''

हालांकि कोविड से बचाव के लिए महिलाओं की स्थिति जेनिटिक और बॉयोलॉजिकल स्ट्रक्चर की वजह से पुरुषों से थोड़ी बेहतर है. लेकिन महिलाओं में होर्मोनल बदलाव, कोविडकाल में प्रेग्नन्सी पर फिर से बड़ी रिसर्च की ज़रूरत दर्शाती है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com