कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भीड़ द्वारा तोड़फोड़ किए जाने की घटना पश्चिम बंगाल में राज्य मशीनरी की पूर्ण विफलता है. अदालत ने पुलिस और अस्पताल प्रशासन को इस घटना के संबंध में हलफनामे दायर करने का निर्देश दिया. साथ ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल के सेमिनार कक्ष (क्राइम सीन) से कोई छेड़छाड़ नहीं होने के सबूत सरकार को देने को कहा है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने फोटोग्राफिक सबूत सरकार से मांगे हैं.
दरअसल सेमिनार हॉल के एक हिस्से में भी तोड़फोड़ तथा दरवाजे क्षतिग्रस्त करने की बात समाने आई है, जहां एक महिला डॉक्टर के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया था तथा उसकी हत्या कर दी गई थी. पीड़िता के माता-पिता ने दावा किया है कि बुधवार देर रात और गुरुवार की सुबह हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान सेमिनार हॉल में भी तोड़फोड़ की गई थी. ऐसे में आज उच्च न्यायालय ने सेमिनार कक्ष की सुरक्षित स्थिति के फोटोग्राफिक सबूत मांगे हैं.
सुनवाई के दौरान जब राज्य सरकार के वकील ने अदालत से कहा कि लोगों की भीड़ बृहस्पतिवार को तड़के एकत्र हुई थी तो मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि इस बात पर भरोसा कर पाना कठिन है कि पुलिस खुफिया विभाग को अस्पताल में 7,000 लोगों के एकत्र होने की जानकारी नहीं थी. अदालत ने पुलिस और अस्पताल के प्रशासन को निर्देश दिया कि वे मामले में सुनवाई की अगली तारीख 21 अगस्त को वास्तविक स्थिति और सभी संबंधित मामलों का विवरण देते हुए दो अलग-अलग हलफनामे दाखिल करें.
पीठ ने कहा कि पुलिस को उन घटनाओं का पूरा विवरण रिकॉर्ड में देना चाहिए जिनके कारण अस्पताल में तोड़फोड़ हुई. अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भी नौ अगस्त को अस्पताल में महिला चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या के मामले की जांच की दिशा में हुई प्रगति की अंतरिम रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. इस घटना के कारण राज्य के सरकारी अस्पतालों में कनिष्ठ चिकित्सक हड़ताल पर हैं.
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