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This Article is From Feb 16, 2023

"ये पुराने सिस्टम से बहुत आसान" : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए टैक्स रिजिम पर कहा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माना कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चुनौतियां बड़ी हैं. कच्चा तेल और खाद की कीमतों को लेकर अनिश्चितता है. भारत को किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा.

निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपना पांचवां बजट पेश करते हुए इसे अमृतकाल का बजट बताया.

नई दिल्ली:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस बार के बजट (Budget) में इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) बदलकर मिडिल क्लास को राहत तो दी है, लेकिन नए प्रावधान से कुछ कंफ्यूजन भी है. नए टैक्स रिजिम में पुरानी टैक्स व्यवस्था की तरह निवेश पर छूट का प्रावधान नहीं है. इसे लेकर सरकार की लगातार आलोचना हो रही है. हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए टैक्स रिजिम का बचाव किया है. सीतारमण ने नए टैक्स रिजिम को पुराने टैक्स रिजिम से आसान और सरल बताया है.

दूदर्शन के बजट कॉन्क्लेव में वित्तमंत्री ने कहा- 'बजट 2023 में नए टैक्स रिजिम में कई नए टैक्स इंसेंटिव दिए गए हैं, जो करदाताओं के लिए एक अच्छा विकल्प होगा. सीतारमण ने कहा, 'नए टैक्स रिजिम को बेहतर और आकर्षित बनाने के लिए बजट 2023 में करदाताओं को टैक्स में कटौती के साथ-साथ कई बेहतर इंसेंटिव दिए गए हैं. 

उन्होंने कहा, "अगर पहले की (कर) व्यवस्था आपको बचत करने के लिए छूट के माध्यम से प्रोत्साहन देती थी, बीमा करने के लिए छूट के माध्यम से प्रोत्साहन देती थी... तो मैं आपको एक प्रोत्साहन दे रही हूं कि आपकी सैलरी के लिए टैक्स रेट कम हो गई हैं. यही प्रोत्साहन है".

बजट 2023 में नए इनकम टैक्स रिजिम के तहत टैक्स रिबेट की सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया गया है. इसके अलावा नई कर व्यवस्था चुनने वालों के लिए टैक्स में छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया है. टैक्स स्लैब्स 6 से घटाकर 5 कर दिया गया है.

अल्पसंख्यक मंत्रालय के लिए बजट में कटौती पर पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा, 'मंत्रालय जो भी फंड मांगते हैं, उसके अनुसार ही बजट में फंड्स का बंटवारा किया जाता है.' उन्होंने कहा, "संसद में बजट पर चर्चा के दौरान भी कई सांसदों ने यह सवाल उठाया. मैंने विस्तार से संसद में जवाब दिया है. बजट तैयार करने के दौरान हर मंत्रालय अपनी मांग रखते हैं. मंत्रालय जो भी फंड्स मांगते हैं, उसके अनुसार ही हम फंड का आवंटन करते हैं, क्योंकि उन्हें ही सरकारी योजनाओं को लागू करना होता है.'

उन्होंने बताया कि जब दो तीन अलग-अलग स्कीम के तहत फैलोशिप मिलती है, तब अल्पसंख्यकों को भी फेलोशिप का फायदा मिलता है. अल्पसंख्यकों की फैलोशिप कम नहीं किया गया है. हमारी सरकार का प्रिंसिपल ऑफ डेवलपमेंट है: सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सब का प्रयास. किसी के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं हो रहा है. सभी को सभी योजनाओं का फायदा मिलना चाहिए".

वित्त मंत्री ने माना कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चुनौतियां बड़ी हैं. कच्चा तेल और खाद की कीमतों को लेकर अनिश्चितता है. भारत को किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना होगा. 

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