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This Article is From Jun 05, 2020

23 हफ्ते की गर्भवती महिला को मुंबई हाईकोर्ट ने गर्भपात की दी अनुमति

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अविवाहित महिला को 23 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी है, यह देखते हुए कि इस हालत में बच्चे को जन्म देने से उसकी मानसिक और शारीरिक पीड़ा होगी.

23 हफ्ते की गर्भवती महिला को मुंबई हाईकोर्ट ने गर्भपात की दी अनुमति

बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अविवाहित महिला को 23 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी है, यह देखते हुए कि इस हालत में बच्चे को जन्म देने से उसकी मानसिक और शारीरिक पीड़ा होगी. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) अधिनियम में 20 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था को समाप्त करने पर रोक है. गौरतलब है कि  महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले की निवासी 23 वर्षीय महिला, 20 सप्ताह के भीतर गर्भपात करवाने के लिए लॉकडाउन के कारण अपील नहीं कर पायी थी. जिसके कारण जस्टिस एसजे कथावाला और सुरेंद्र तावड़े की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. 

29 मई को, महिला की याचिका के बाद, उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने रत्नागिरी के सिविल अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड को निर्देश दिया कि वह किसी भी संभावित स्वास्थ्य जोखिम के लिए उसका आकलन करे. अपनी याचिका में, महिला ने कहा था कि गर्भावस्था एक अवैध संबंध का परिणाम है, वह इसे अविवाहित होने के कारण आगे नहीं ले जा सकती है. अगर वो बच्चे को जन्म देती है तो वो  "सामाजिक कलंक" का कारण बनेगी.साथ ही महिला ने अपनी दलील में कहा कि वह "अविवाहित एकल माता-पिता के रूप में बच्चे को संभालने में सक्षम नहीं होगी".याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि सामाजिक कलंक के कारण उसके लिए भविष्य में शादी करना संभव नहीं होगा, और वह मानसिक रूप से मां बनने के लिए तैयार नहीं थी.

बताते चले कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी अधिनियम के तहत एक डॉक्टर से परामर्श के बाद, गर्भावस्था के 12 सप्ताह तक ही गर्भपात की अनुमति दी जाती है. 12 से 20 सप्ताह के बीच गर्भावस्था की समाप्ति के लिए, दो डॉक्टरों की चिकित्सा राय की आवश्यकता होती है.20 सप्ताह से परे, अपवाद कानूनी रूप से केवल तभी स्वीकार्य हैं जब गर्भावस्था की निरंतरता माताओं के स्वास्थ्य और जीवन के लिए खतरा बन जाती है.वर्तमान मामले में, उच्च न्यायालय ने उल्लेख किया है कि गर्भावस्था ने याचिकाकर्ता के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कोई जोखिम नहीं है, लेकिन इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है. 

VIDEO:सिटी सेंटर: आरे कॉलोनी की सभी याचिकाओं को हाईकोर्ट ने किया खारिज

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