सांकेतिक तस्वीर
मुंबई:
मैगी नूडल्स को बॉम्बे हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने मैगी पर से बैन हटाने का फैसला किया है। लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं। मैगी नूडल्स बनाने वाली कंपनी नेस्ले को पहले लैब में उत्पाद के टेस्ट कराने होंगे।
साथ ही फूड रेगुलेटर अथॉरिटी के साथ मंजूरी लेनी होगी।
मैगी पर जांच पूरी होने के लिए छह हफ्ते का वक्त तय किया गया है। एनएबीएल से मंजूरी प्राप्त लैब में ही टेस्ट कराना होगा। हाईकोर्ट ने नेस्ले को नूडल्स के सभी प्रकारों के पांच-पांच नमूने ताजा जांच के लिए पंजाब, हैदराबाद और जयपुर की तीन लैब में भेजने की अनुमति दी है। यदि तीनों लैब में सीसे की मात्रा को स्वीकार्य सीमा से कम पाया जाता है, तो नेस्ले को मैगी नूडल्स बनाने की इजाजत मिल जाएगी।
कोर्ट ने फूड सेफ्टी रेगुलेटर पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, 'प्रतिबंध की घोषणा करते वक्त नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया।' जून में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने जून में कहा था कि मैगी को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और असुरक्षित पाया। इस बीच जैसे ही मैगी से बैन हटने की खबरें आईं नेस्ले के शेयरों में तेजी दर्ज की गई।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंगलवार को उपभोक्ता मंच एनसीडीआरसी से शिकायत की और कंपनी से अपने इस लोकप्रिय नूडल ब्रांड के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने करीब तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून में एक प्रावधान का पहली बार इस्तेमाल करते हुए नेस्ले इंडिया के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी।
साथ ही फूड रेगुलेटर अथॉरिटी के साथ मंजूरी लेनी होगी।
मैगी पर जांच पूरी होने के लिए छह हफ्ते का वक्त तय किया गया है। एनएबीएल से मंजूरी प्राप्त लैब में ही टेस्ट कराना होगा। हाईकोर्ट ने नेस्ले को नूडल्स के सभी प्रकारों के पांच-पांच नमूने ताजा जांच के लिए पंजाब, हैदराबाद और जयपुर की तीन लैब में भेजने की अनुमति दी है। यदि तीनों लैब में सीसे की मात्रा को स्वीकार्य सीमा से कम पाया जाता है, तो नेस्ले को मैगी नूडल्स बनाने की इजाजत मिल जाएगी।
कोर्ट ने फूड सेफ्टी रेगुलेटर पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, 'प्रतिबंध की घोषणा करते वक्त नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया।' जून में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने जून में कहा था कि मैगी को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक और असुरक्षित पाया। इस बीच जैसे ही मैगी से बैन हटने की खबरें आईं नेस्ले के शेयरों में तेजी दर्ज की गई।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने मैगी मामले में नेस्ले इंडिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मंगलवार को उपभोक्ता मंच एनसीडीआरसी से शिकायत की और कंपनी से अपने इस लोकप्रिय नूडल ब्रांड के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार में संलिप्तता, गलत जानकारी देने और गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने के आरोप में 640 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की थी।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने करीब तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून में एक प्रावधान का पहली बार इस्तेमाल करते हुए नेस्ले इंडिया के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी।
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