प्रतीकात्मक चित्र
मुंबई:
पूरे महाराष्ट्र में खून संबंधी संक्रमण की जांच के लिए प्रयुक्त होने वाला एलाइजा (एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एसे) टेस्ट नए संक्रमणों को जांचने में पूरी तरह से सक्षम नहीं है। गौरतलब है कि रक्तदाता के खून को किसी भी मरीज को चढ़ाने से पहले उस खून की कई जांचें की जाती हैं। इनमें एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसी जांचें एलाइजा द्वारा की जाती हैं। ऐसे में यदि रक्तदाता का संक्रमण नया हो, तो वह इस जांच में सामने नहीं आ पाता। इसके लिए NAT (न्यूक्लिक एसिड टेस्ट) की आवश्यकता होती है, जिसकी सुविधा बहुत ही कम अस्पतालों में है।
एलाइजा में नए संक्रमण का पता नहीं चलने पर संक्रमित खून ही मरीज को चढ़ा दिया जाता है। ऐसे में पिछले पांच सालों के दौरान केवल महाराष्ट्र में ही संक्रमित खून चढ़ाए जाने से 1000 लोग एचआईवी के शिकार हुए हैं।
हालांकि NAT से की जाने वाली जांच महंगी है। जहां एलाइजा टेस्ट की कीमत करीब 50 रुपए प्रति यूनिट है, वहीं NAT की कीमत करीब 1200 रुपए प्रति यूनिट है।
वर्तमान में सभी सरकारी ब्लड बैंकों में एलाइजा टेस्ट ही किया जाता है। NAT (न्यूक्लिक एसिड टेस्ट) बहुत ही कम अस्पतालों में किया जाता है, जबकि NAT द्वारा खून में मौजूद नए से नए संक्रमण का भी पता चल जाता है। इसके साथ ही खून में मौजूद वायरस की अल्प मात्रा का भी पता लग जाता है। इस टेस्ट में 1-34 दिन तक का संक्रमण भी सामने आ जाता है। दिल्ली के AIIMS अस्पताल का दावा है कि वहां खून की जांच NAT द्वारा ही की जाती है।
महाराष्ट्र सरकार भी कुछ ही महीनों में राज्य के 6 मेडिकल सेंटर्स पर NAT की सुविधा उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है, लेकिन तब तक खून के संक्रमण की जांच इसी तरह होती रहेगी और मरीजों को संक्रमित खून चढ़ाए जाने का खतरा बना रहेगा।
एलाइजा में नए संक्रमण का पता नहीं चलने पर संक्रमित खून ही मरीज को चढ़ा दिया जाता है। ऐसे में पिछले पांच सालों के दौरान केवल महाराष्ट्र में ही संक्रमित खून चढ़ाए जाने से 1000 लोग एचआईवी के शिकार हुए हैं।
हालांकि NAT से की जाने वाली जांच महंगी है। जहां एलाइजा टेस्ट की कीमत करीब 50 रुपए प्रति यूनिट है, वहीं NAT की कीमत करीब 1200 रुपए प्रति यूनिट है।
वर्तमान में सभी सरकारी ब्लड बैंकों में एलाइजा टेस्ट ही किया जाता है। NAT (न्यूक्लिक एसिड टेस्ट) बहुत ही कम अस्पतालों में किया जाता है, जबकि NAT द्वारा खून में मौजूद नए से नए संक्रमण का भी पता चल जाता है। इसके साथ ही खून में मौजूद वायरस की अल्प मात्रा का भी पता लग जाता है। इस टेस्ट में 1-34 दिन तक का संक्रमण भी सामने आ जाता है। दिल्ली के AIIMS अस्पताल का दावा है कि वहां खून की जांच NAT द्वारा ही की जाती है।
महाराष्ट्र सरकार भी कुछ ही महीनों में राज्य के 6 मेडिकल सेंटर्स पर NAT की सुविधा उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है, लेकिन तब तक खून के संक्रमण की जांच इसी तरह होती रहेगी और मरीजों को संक्रमित खून चढ़ाए जाने का खतरा बना रहेगा।
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