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This Article is From Oct 27, 2022

छठ के ठीक पहले यमुना में काला पानी और सफेद झाग की मोटी चादर

शुक्रवार से 4 दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व भी शुरू हो रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल यमुना की सफ़ाई के लिए एक्शन प्लान बनाया था लेकिन अब तक तो इसका कोई असर नहीं दिख रहा है.

यमुना नदी में भी प्रदूषण का स्‍तर अचानक से बढ़ गया है.

हवा के बाद अब दिल्‍ली से गुजरने वाली यमुना नदी में भी प्रदूषण का स्‍तर अचानक से बढ़ गया है. बृहस्पतिवार सुबह नदी में हर तरफ सफेद झाग दिखने लगे. दिल्ली के कालिंदी कुंज की हालत ऐसी है कि नदी किनारे खड़े होना तक मुश्किल है. वैसे हर साल छठ पूजा से पहले यमुना में ये तस्वीरें आम हैं. अब भाजपा इसे लेकर दिल्ली सरकार पर हमलावर हो गई है.

बता दें कि शुक्रवार से 4 दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व भी शुरू हो रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल यमुना की सफ़ाई के लिए एक्शन प्लान बनाया था लेकिन अब तक तो इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. 1070 किलोमीटर लंबी यमुना दिल्ली में 54 किलोमीटर की दूरी तय करती है और यहीं सबसे ज्यादा प्रदूषित होती है. दिल्ली में भी सबसे ज्यादा गंदगी वजीराबाद से कालिंदी कुंज के 22 किलोमीटर के फासले में युमना में मिलती है.

आपको बता दें कि 1 सितंबर को ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के मुख्य सचिव को इस बात पर सफाई देने का निर्देश दिया था कि यमुना में प्रदूषक बहाने पर रोक लगाने और नदी के पानी की गुणवत्ता की सुरक्षा करने में प्रशासन की ‘खुल्लमखुल्ला विफलता' पर क्यों न दंडात्मक कार्रवाई की जाए. नदी में प्रदूषण के नियंत्रण के लिए उठाये गये कदमों पर असंतोष प्रकट करते हुए एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि यह चिंता की बात है कि यमुना पुनरोद्धार का स्पष्ट खाका होने के बाद भी प्रशासन उसे साफ नहीं रख पाया.

हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि इस दिशा में कोई काम नहीं हो रहा. दिल्ली (Delhi) में वर्ष के अंत तक अपशिष्ट जल (Wastewater) शोधन की लगभग 95 प्रतिशत क्षमता हासिल की जाएगी, जिससे यमुना नदी (Yamuna River)  में प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. दिल्ली जल बोर्ड ने यह अनुमान इसी साल फरवरी में जताया था. उसने बताया था कि दिल्ली में 20 स्थानों पर संचालित 34 अवजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) 597 एमजीडी तक अवजल शोधन कर सकते हैं और फिलहाल इनकी क्षमता का लगभग 90 प्रतिशत (514 एमजीडी) उपयोग किया जा रहा है. अनधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी-झोपड़ी समूहों से अप्रयुक्त अपशिष्ट जल, और डब्ल्यूडब्ल्यूटीपी से निकलने वाले शोधित अपशिष्ट जल की खराब गुणवत्ता नदी में प्रदूषण के उच्च स्तर का मुख्य कारण है. 

आपको बता दें कि देश की राजधानी में विगत दो वर्षों से कोरोना महामारी की वजह से छठ पर फीका पड़ रहा था. लेकिन इस साल कोराना महामारी के राहज मिलने की वजह से दिल्ली में छठ पर्व को लेकर खास तौयारी की जा रही है. बता दें कि अबकी बार छठ पर्व में 1100 जगहों पूजा के लिए घाट बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही छठ घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे. दिल्ली पुलिस छठ घाटों की पूरी निगरानी करेगी. सुरक्षा के दृष्टिकोण से जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाएंगे. 

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