कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर नेहरू-गांधी परिवार के प्रति ‘‘दुर्भावनापूर्ण मंशा'' रखने और इसके योगदान और बलिदान के प्रति कम सम्मान दिखाने का आरोप लगाया. अपने प्रचार के हिस्से के रूप में बिहार के दौरे पर आए खरगे ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ी यात्रा ‘‘चुनावी लाभ के उद्देश्य से नहीं'' है बल्कि विभाजन की राजनीति के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई है जिसका भाजपा द्वारा कथित तौर पर प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा रोती रहती है कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. यह गलत है. हमारी पार्टी में सभी निर्णय उचित परामर्श और उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद लिए जाते हैं.''खरगे ने भाजपा पर प्रहार जारी रखते हुए आरोप लगाया यह वे हैं जो इस तरह की बारीकियों की परवाह नहीं करते; अपनी पार्टी द्वारा शासित राज्यों में अपनी मर्जी से मुख्यमंत्री बदलते हैं, लोगों को नियुक्त करते हैं, बिना किसी स्पष्टीकरण के विस्तार देते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने जोर देकर कहा कि उनका अभी भी विचार है कि राहुल गांधी औपचारिक रूप से पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सबसे अच्छे विकल्प होंगे.
उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें ‘‘नामांकन पत्र दाखिल करने से बमुश्किल 18 घंटे पहले'' इसके लिए कहा गया था. खरगे, जो अपनी पार्टी के सबसे जुझारू सांसदों में से एक रहे हैं, ने हालांकि कहा कि वह गांधी के इस फैसले का सम्मान करते हैं कि ‘‘उनके परिवार से कोई भी पार्टी अध्यक्ष नहीं बनना चाहिए.''भाजपा ने आरोप लगाया था कि नेहरू-गांधी परिवार के प्रति कांग्रेस नेताओं के सम्मान से संकेत मिलता है कि उक्त परिवार द्वारा पार्टी को नियंत्रित करना जारी रखा जाएगा. इस बारे में पूछे जाने पर खरगे ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘यह भाजपा-आरएसएस(राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के दुर्भावनापूर्ण इरादे (कलुषित मानसिकता) को दर्शाता है. वे किसी के बारे में ठीक से बात नहीं कर सकते. क्या परिवार द्वारा दिए गए अपार योगदान और भारी त्याग को कोई नकार सकता है.''
कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार ने पूछा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी एक साथ 20 से अधिक वर्षों से पार्टी अध्यक्ष रहे हैं, ऐसे में पार्टी के नेताओं से सलाह लेने में क्या गलत है.खरगे जिन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर के खिलाफ एक पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर देखा जाता है, से जब यह पूछा गया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उनके नए सहयोगी द्वारा विपक्षी एकता के प्रयासों के बारे में वह क्या सोचते हैं तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘चुनाव प्रक्रिया पूरी होने और निर्वाचित होने के बाद मैं इस पर विचार करूंगा और अपना जवाब दूंगा.''
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा को चुनावी लाभांश के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. इसका उद्देश्य उन लोगों को पराजित करना है जो धर्म, जाति, भाषाई और क्षेत्रीय पहचान के नाम पर देश को को विभाजित करने पर तुले हुए हैं.''खरगे ने कहा कि राहुल गांधी के प्रयास का उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू के आदर्शों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया संविधान खतरे में है.
खरगे ने जोर देकर कहा कि पार्टी में संगठनात्मक चुनाव ‘‘घर की बात'' की तरह है. लेकिन शशि थरूर के नाम का उल्लेख किए बिना उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि मुझे अपने चुनाव के लिए किसी घोषणापत्र की जरूरत है...मैं बहुत सारे मीडिया साक्षात्कारों के माध्यम से प्रचार हासिल करने में विश्वास नहीं रखता.'' हालांकि उन्होंने दोहराया कि इस साल की शुरुआत में पार्टी के ‘चितंन शिविर' में पारित उदयपुर घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा करना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर है.
उन्होंने कहा, ‘‘उदयपुर घोषणा एक ऐसी चीज है जिससे मैं और मेरे प्रतिद्वंद्वी समान रूप से बंधे हैं. मैं वादा करता हूं कि एक बार निर्वाचित होने के बाद मैं संगठन में सभी स्तरों पर 50 वर्ष से कम आयु के लोगों को 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व का वादा पूरा करने का प्रयास करूंगा. इस आयु वर्ग में सभी महिलाएं, दलित, अल्पसंख्यक, सामान्य वर्ग शामिल हैं.''
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