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This Article is From May 23, 2024

बीजेपी के नोटिस से गुस्से में सांसद जयंत सिन्हा, बोले- मुझे फोन भी तो कर सकते थे

बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा (BJP MP Jayant Sinha) ने आदित्य साहू की चिट्टी सार्वजनिक किए जाने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि पार्टी में उनको योगदान और उनकी परिस्थिति को देखते हुए सवालों से भरी इस चिट्ठी को इस तरह से जारी करना उचित नहीं है.

बीजेपी के नोटिस से गुस्से में सांसद जयंत सिन्हा, बोले- मुझे फोन भी तो कर सकते थे
बीजेपी के नोटिस पर जयंत सिन्हा की नाराजगी.
हजारीबाग, झारखंड:

आपने लोकसभा चुनाव में वोट क्यों नहीं किया? आप चुनाव प्रचार का हिस्सा क्यों नहीं बने? ये सवाल पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड की हज़ारीबाग सीट से मौजूदा सांसद जयंत सिन्हा (Jayant Sinha) से बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस भेजकर पूछा तो वह नाराज हो गए. उन्हें ऐसा लग रहा है कि पार्टी के लिए उनकी निष्ठा और कड़ी मेहनत के बाद भी उनको गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है. बीजेपी सांसद ने कहा कि किसी भी संदेह को दूर करने के लिए कभी भी पर्सनली या फिर फोन पर उनसे बात की जा सकती थी.

हज़ारीबाग लोकसभा चुनाव के लिए जिम्मेदार पार्टी पदाधिकारी के नाते आदित्य साहू उनसे कभी भी संपर्क कर सकते थे. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद उनको चिट्ठी भेजा जाना समझ से परे है. उन्होंने बुधवार को कहा कि बीजेपी का कारण बताओ नोटिस पाकर वह हैरान हैं. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी के झारखंड महासचिव आदित्य साहू की चिट्ठी का बखूबी जवाब दिया है. 

BJP के नोटिस से जयंत सिन्हा हैरान

अपने जवाब में, जयंत सिन्हा ने कहा कि उन्होंने पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डाला, क्यों कि पर्सनल कमिटमेंट्स की वजह से वह विदेश में थे.आदित्य साहू की दो पन्नों की चिट्ठी का जवाब देते हुए सासंद जयंत सिन्हा ने कहा, "आपका पत्र पाकर मुझे बहुत हैरानी हुई. पता चला कि आपने इसे मीडिया में भी जारी किया है." दरअसल आदित्य साहू का आरोप है कि  मनीष जयसवाल को हज़ारीबाग़ लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद से जयतं सिन्हा  "संगठनात्मक कार्य और चुनाव प्रचार" में शामिल नहीं हो रहे हैं. हालांकि इस पर बीजेपी सांसद का कहना है कि उन्हें किसी भी पार्टी कार्यक्रम, रैलियों और संगठनात्मक बैठकों में बुलाया ही नहीं गया था. 

कारण बताओ नोटिस पर जयंत सिन्हा का जवाब

जयंत सिन्हा ने कहा, "बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मनीष जयसवाल जी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. मेरा समर्थन तब स्पष्ट हुआ जब मैंने 8 मार्च को जयसवाल जी को बधाई दी. यह इवेंट सोशल मीडिया पर भी खूब चला था, जिसमें पार्टी की पसंद का मैने समर्थन किया था." इसके साथ ही हजारीबाग से सांसद का कहना है कि अगर पार्टी चाहती थी कि वह किसी भी चुनावी गतिविधि में हिस्सा लें, तो उनसे निश्चित रूप उनसे संपर्क किया जा सकता था. उन्होंने कहा हालांकि, 2 मार्च को मेरे चुनाव न लड़ने के ऐलान के बाद झारखंड से एक भी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी या सांसद/विधायक उनके पास नहीं आया. पार्टी की रैलियों, कार्यक्रमों और संगठनात्मक बैठकों में उनको बुलाया ही नहीं गया.

दरअसल जयंत सन्हा ने मार्च में ही 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया था. उनका कहना है कि उन्होंने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उन्हें अपने "डायरेक्ट इलेक्शन ड्यूटीज" से मुक्त करने की भी अपील की थी.

सांसद जयंत सिन्हा ने आदित्य साहू को बताया, "मैं 2 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव से हट गया. जेपी नड्डा जी से परामर्श करने और उनकी स्पष्ट स्वीकृति मिलने के बाद, मैंने सार्वजनिक रूप से साफ कर दिया था कि मैं इन चुनावों में शामिल नहीं हो रहा हूं. मैं आर्थिक और सरकारी नीतियों पर पार्टी का समर्थन करके खुश हूं."

"मैं मनीष जायसवाल के घर गया था"

जयंत सिन्हा ने बताया कि मनीष जायसवाल ने उनको 30 अप्रैल को फोन पर 1 मई के अपने नॉमिनेशन रैली में उनको आमंत्रित किया था. लेकिन सूचना देर से मिलने की वजह से वह नहीं जा सके. लेकिन 2 मई को वह हजारीबाग में मनीष जायसवाल के घर अपना सम्मान व्यक्त करने गए थे, लेकिन वह घर पर नहीं थे. इसीलिए अपना मैसेज उनके परिवार को दे दिया. 

बता दें जयंत सिन्हा बीजेपी के सीनियर नेताओं में से एक हैं. वह पिछले 25 सालों से ज्यादा समय से बीजेपी से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा,"हजारीबाग में उनके विकास और संगठनात्मक कार्यों को खूब सराहा गया है, 2014 और 2019 के आम चुनावों में उनकी "रिकॉर्ड" जीत से ये पता चलता है.

आदित्य साहू की चिट्टी से जयंत सिन्हा नाराज

बीजेपी सांसद ने आदित्य साहू की चिट्टी सार्वजनिक किए जाने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि पार्टी में उनको योगदान और उनकी परिस्थिति को देखते हुए सवालों से भरी इस चिट्ठी को इस तरह से जारी करना उचित नहीं है. उनके इस दृष्टिकोण से पार्टी के लिए समर्पित  कार्यकर्ताओं पर असर पड़ सकता है. साथ ही पार्टी के सामूहिक प्रयास भी कमजोर होंगे. उनको लग रहा है कि जैसे उनको गलत तरीके से टारगेट किया जा रहा है. 

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