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बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन: आ गई डेडलाइन, 25 जुलाई 2025 से पहले भरना होगा फॉर्म

आयोग के अनुसार इस कदम से ऐसे गैर-मौजूद मतदाताओं को बाहर किया जाएगा जो या तो मर चुके हैं या पलायन कर चुके हैं और जो उस विधानसभा क्षेत्र के सामान्य निवासी नहीं हैं.

बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन: आ गई डेडलाइन, 25 जुलाई 2025 से पहले भरना होगा फॉर्म
बिहार में चुनाव आयोग ने फॉर्म भरने की तारीख तय की
पटना:

बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को सुधारने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) 2025 की शुरुआत कर दी है. इस अभियान के तहत हर योग्य व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है. इस प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग ने एक आदेश जारी किया है. जिसके तहत 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए 25 जुलाई 2025 से पहले पूर्व मुद्रित गणना फॉर्म पर हस्ताक्षर करके उसे जमा करवाना होगा. इस कदम से ऐसे गैर-मौजूद मतदाताओं को बाहर किया जाएगा जो या तो मर चुके हैं या पलायन कर चुके हैं और जो उस विधानसभा क्षेत्र के सामान्य निवासी नहीं हैं.

गणना फॉर्म प्राप्त होने के बाद पात्रता सत्यापन

हस्ताक्षरित गणना फॉर्म के साथ संलग्न या संलग्न न किए गए दस्तावेजों के आधार पर, ड्राफ्ट रोल में शामिल प्रत्येक नाम की पात्रता सत्यापन उनके प्राप्त होने के बाद लगातार किया जाएगा. ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद 2 अगस्त 2025 से सत्यापन जोर-शोर से शुरू होगा. मतदाता सूची के प्रकाशित ड्राफ्ट के आधार पर, 2 अगस्त 2025 से किसी भी राजनीतिक दल या किसी भी आम आदमी से दावे और आपत्तियां प्राप्त की जाएंगी. 

आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग की विशेष प्रक्रिया SIR,जिसे संक्षेप में SIR यानी सर कहा जा रहा है. दरअसल,स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए किसी भी चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है जो एक सामान्य प्रक्रिया है,लेकिन चुनाव आयोग ने इस बार 1 जुलाई से मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा शुरू कर दी है. इसे लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है, नीयत पर शक़ कर रहा है.

चुनाव आयोग की दलील है कि बिहार में मतदाता सूची की गंभीर समीक्षा की ऐसी आख़िरी प्रक्रिया 2003 में हुई थी और उसके बाद से नहीं हुई है. इसलिए ये मुहिम ज़रूरी है. समीक्षा के लिए चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए एक फॉर्म तैयार किया है, जो मतदाता 1 जनवरी, 2003 की मतदाता सूची में शामिल थे, उन्हें सिर्फ़ ये Enumeration Form यानी गणना पत्र भरकर जमा करना है. उन्हें कोई सबूत नहीं देना होगा. बिहार में ऐसे 4.96 करोड़ मतदाता हैं. चुनाव आयोग ने 2003 की ये वोटर लिस्ट अपनी वेबसाइट पर डाल दी है.
 

चुनाव आयोग क्या कर रहा

अब सारा हंगामा 2003 के बाद मतदाता बने लोगों से सबूत मांगने को लेकर है. चुनाव आयोग के मुताबिक 1 जुलाई 1987 से पहले पैदा हुए नागरिकों जो 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे, उन्हें अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान का सबूत देना होगा. ऐसे सभी मतदाता आज की तारीख़ में 38 साल या उससे बड़े होंगे.जो लोग 1 जुलाई 1987 से लेकर 2 दिसंबर 2004 के बीच पैदा हुए हैं, उन्हें अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान और अपने माता-पिता में से किसी एक की जन्मतिथि और जन्मस्थान का सबूत देना होगा. ये सभी लोग क़रीब आज 21 से 38 साल के बीच के होंगे. इसके अलावा 2 दिसंबर 2004 के बाद पैदा हुए नागरिकों को अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान और अपने माता-पिता दोनों की ही जन्मतिथि और जन्मस्थान का भी सबूत देना होगा. बस इन ही सबूतों की मांग को लेकर सारा विवाद खड़ा हो गया है कि इतनी जल्दी ये सबूत कहां से लेकर आएं. विपक्ष ने और कई नागरिक संगठनों ने ये सवाल खड़े किए हैं.

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