बिहार (Bihar) में नवगठित महागठबंधन सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही विवादों में घिरे मंत्री कार्तिक कुमार (Karthik Kumar) को आखिरकार मंत्री पद छोड़ना पड़ा है. अपहरण के मामले में आरोपी बिहार के गन्ना उद्योग मंत्री कार्तिक कुमार ने आज अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंप दिया. मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार करके राज्यपाल को अपनी अनुशंसा भेज दी है.
एक दिन पहले कानून मंत्री पद से हटाकर गन्ना उद्योग मंत्री बनाए गए कार्तिक कुमार ने आज अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दिया. मुख्यमंत्री ने इस्तीफे पर राज्यपाल फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी है. त्याग पत्र स्वीकार होने के बाद कार्तिक कुमार अब राज्य मंत्री परिषद के सदस्य नहीं रहे. गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को दिया गया है.
इससे पहले मंगलवार को बिहार की महागठबंधन सरकार के कानून मंत्री (Law Minister) कार्तिक कुमार का विभाग बदल दिया गया था. कार्तिक कुमार को अपहरण के एक मामले में कथित संलिप्तता के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की विपक्ष ने भारी आलोचना की थी. बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सलाह पर राज्यपाल सचिवालय द्वारा 30 अगस्त के एक आदेश से कार्तिक कुमार को विधि विभाग के स्थान पर गन्ना उद्योग विभाग एवं शमीम अहमद को गन्ना उद्योग विभाग के स्थान पर विधि विभाग का कार्य अगले आदेश तक सौंपा गया था.
कार्तिक कुमार ने 16 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नवगठित महागठबंधन सरकार में अपनी पार्टी के कोटे से मंत्री के रूप में शपथ ली थी. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2014 के अपहरण के एक मामले में कार्तिक के नामजद होने के बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए उन्हें मंत्री पद से हटाए जाने की मांग की थी.
कार्तिक कुमार का विभाग बदले जाने पर बीजेपी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था, ‘‘आज कार्तिकेय सिंह का विभाग बदल दिया गया. यह नीतीश की नई जीरो टॉलरेंस नीति है कि फंसाते भी हम हैं, बचाते भी हम हैं. हम ही लालू तेजस्वी, अनंत सिंह, आनंद मोहन को फंसाएंगे और जब हमारी शरण में आ जाइएगा तो हम ही बचाएंगे.''उन्होंने नीतीश पर ‘‘रबर स्टाम्प मुख्यमंत्री'' होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह अब लालू के परिवार के ‘‘आदेशपालक'' की भूमिका में हैं.
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘बिहार में कैबिनेट फेरबदल से समस्या क्यों है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी जैसे केंद्रीय मंत्रियों के विभागों को बदल दिया तो किसी को कोई समस्या नहीं थी.'' भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी के कार्तिक पर आरोप लगाया था कि अपहरण के एक मामले में समन जारी होने के बावजूद पेश नहीं होने पर उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया था और उन्होंने उसी दिन शपथ ली थी जिस दिन उन्हें एक अदालत में पेश होना था.
कार्तिक पर लगाए गए आरोपों के बारे में 17 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने 18 अगस्त को कहा था, ‘‘वारंट के बाद अदालत ने गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है. उनको अभी तक अदालत ने दोषी नहीं ठहराया है. हम अदालत के निर्देशों का पालन करेंगे.
कार्तिक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट लंबित होने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा था, ‘‘यह सब गलत है.'' बिहार में नवगठित महागठबंधन सरकार का बाहर से समर्थन कर रही भाकपा माले ने 17 अगस्त को कहा था कि कानून मंत्री को बनाए रखने से सरकार की छवि खराब होगी. वर्तमान में महागठबंधन में सात दल जदयू, राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा, माकपा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं.
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