
बिहार में एनडीए में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन चल रहा है.
- एनडीए में 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे पर मंथन जारी
- 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आधार नहीं हो सकते, स्थितियां बदलीं
- जेडीयू की मांग, बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ी पार्टी, बड़ा दिल दिखाए
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नई दिल्ली:
बिहार में एनडीए के घटक दलों में अगले लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे पर मंथन शुरू हो गया है. जेडीयू की मांग है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मौजूदा बिहार विधानसभा में उसकी ताकत के आधार पर उसे सीटें मिलनी चाहिए. फिलहाल बिहार विधानसभा में जेडीयू के 70 एमएलए हैं जो एनडीए के घटक दलों में सबसे ज्यादा हैं.
जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने एनडीटीवी को बताया कि 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर 2019 के लोकसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा नहीं हो सकता है क्योंकि इस बार राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं.
जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक अगर 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान टिकट के बंटवारे का आधार बनाया जाता है तो जेडीयू यह मांग कर सकती है कि 2020 के विधानसभा चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा 2015 के विधानसभा चुनावों के नतीजों के आधार पर ही होना चाहिए और जेडीयू को 150 सीटें मिलनी चाहिए. 2015 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के 53 उम्मीदवार जीते थे.
यह भी पढ़ें : राजनीतिक उथल-पुथल पर लगा विराम, उपेंद्र कुशवाहा बोले- एनडीए एकजुट है और रहेगा
जेडीयू की मांग है कि बीजेपी जो राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ी पार्टी है उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए और बिहार में आपने सहयोगियों को ज्यादा जगह देनी चाहिए. जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक बिहार में एनडीए के लोकसभा चुनाव अभियान का नेतृत्व नीतीश कुमार को करना चाहिए.
VIDEO : बिहार एनडीए में खींचतान
2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू ने 24 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि बीजेपी ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि पांच साल बाद 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि बीजेपी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने एनडीटीवी को बताया कि 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर 2019 के लोकसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा नहीं हो सकता है क्योंकि इस बार राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं.
जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक अगर 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान टिकट के बंटवारे का आधार बनाया जाता है तो जेडीयू यह मांग कर सकती है कि 2020 के विधानसभा चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा 2015 के विधानसभा चुनावों के नतीजों के आधार पर ही होना चाहिए और जेडीयू को 150 सीटें मिलनी चाहिए. 2015 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के 53 उम्मीदवार जीते थे.
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जेडीयू की मांग है कि बीजेपी जो राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ी पार्टी है उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए और बिहार में आपने सहयोगियों को ज्यादा जगह देनी चाहिए. जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक बिहार में एनडीए के लोकसभा चुनाव अभियान का नेतृत्व नीतीश कुमार को करना चाहिए.
VIDEO : बिहार एनडीए में खींचतान
2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू ने 24 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि बीजेपी ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि पांच साल बाद 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान जेडीयू ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि बीजेपी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
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