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This Article is From Oct 03, 2023

बिहार जातिगत गणना मामला : डेटा सार्वजनिक करने पर सुप्रीम कोर्ट में शिकायत

लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी कर दिये. इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है.

बिहार जातिगत गणना मामला : डेटा सार्वजनिक करने पर सुप्रीम कोर्ट में शिकायत
देश में आखिरी बार सभी जातियों की गणना 1931 में की गई थी
नई दिल्‍ली:

बिहार जातिगत गणना के आंकड़े सार्वजनिक करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. याचिकाकर्ता ने डेटा को सार्वजनिक करने पर जताई आपत्ति जताई है. श‍िकायत में कहा गया है कि इस मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के दौरान डेटा कैसे जारी किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में जल्‍द सुनवाई की मांग की गई है. कोर्ट ने तय किया है कि इस मामले में 6 अक्‍टूबर को सुनवाई होगी.  

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले पर अभी हम कुछ नहीं कह सकते हैं. दरअसल,  सुप्रीम कोर्ट जातिगत गणना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इस मामले में जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच सुनवाई कर रही है. हालांकि, बेंच ने पहले ही गणना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. साथ ही डेटा सार्वजनिक करने पर भी कोई रोक नहीं लगाई थी. हालांकि, इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने जातिगत गणना की इजाजत दे थी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं. 

बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है. बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में उभरा है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है.

बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य में जाति आधारित गणना का आदेश पिछले साल तब दिया था, जब केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आम जनगणना के हिस्से के रूप में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की गिनती नहीं कर पाएगी. देश में आखिरी बार सभी जातियों की गणना 1931 में की गई थी. बिहार मंत्रिमंडल ने पिछले साल दो जून को जाति आधारित गणना कराने की मंजूरी देने के साथ इसके लिए 500 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित की थी.

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