- प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में 238 सीटों पर लड़ने के बावजूद कोई भी सीट नहीं जीती
- अधिकांश जेएसपी उम्मीदवारों को कुल मतों के दस प्रतिशत से कम वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई
- पार्टी नेता पवन वर्मा ने कहा कि चुनाव परिणाम पार्टी नेतृत्व के लिए एक अप्रत्याशित झटका साबित हुए हैं
बिहार चुनाव में ‘एक्स फैक्टर' कही जाने वाली पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) 238 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद 243 सदस्यीय विधानसभा में अपना खाता भी नहीं खोल पाई. जेएसपी के अधिकतर उम्मीदवारों को कुल डाले गए मतों के 10 प्रतिशत से भी कम वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई. इस प्रदर्शन पर हैरानी जताते हुए पार्टी नेता पवन वर्मा ने कहा कि ये नतीजे पार्टी नेतृत्व के लिए एक झटका है.
पवन वर्मा ने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "हम सभी हैरान हैं. पदयात्रा के दौरान, बड़ी संख्या में लोग शामिल होते थे. हमें आश्चर्य है कि इसका असर नतीजों पर नहीं पड़ा. हमारे विषय प्रासंगिक थे. हमारे मुद्दे बाद में चुनावी मुद्दे बन गए."

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मतदाताओं से अपने बच्चों के लिए मतदान करने का आह्वान, जन सुराज के चुनावी नारे जैसा ही था. यही जन सुराज का मूलमंत्र था. वर्मा ने कहा कि पार्टी अपनी विचारधारा के लिए संघर्ष जारी रखेगी और भविष्य की रणनीति पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर तय करेंगे.
If you really want to understand Why @PrashantKishor failed to make a mark in Bihar this time , it's a must watch interview of @PavanK_Varma
— Naveen Kapoor (@IamNaveenKapoor) November 16, 2025
बहुत सहज और शालीन अंदाज़ में उन्होंने ने हार का विश्लेषण किया । बचने बचाने की बजाय हर सवाल की जवाब दिया । https://t.co/jp8pgbxxRp

चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर की बनाई जन सुराज पार्टी को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा. पार्टी जोरदार प्रचार अभियान तथा बेरोजगारी, पलायन और उद्योगों की कमी जैसे ज्वलंत मुद्दों को उठाने के बावजूद अपने पक्ष में वोट जुटाने में विफल रही. कई सीटों पर जेएसपी उम्मीदवारों के वोटों की संख्या नोटा से भी कम रहे.
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर ने पहले दावा किया था कि उनकी पार्टी 150 सीट जीतेगी, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि सीटों की संख्या में या तो पार्टी शीर्ष पर होगी या सबसे निचले पायदान पर, लेकिन बिहार चुनाव में कोई बीच का रास्ता नहीं है.
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