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वोट चोरी अब कोई मुद्दा नहीं, बिहार चुनाव में नीतीश कुमार थे 'एक्स' फैक्टर: पवन वर्मा

जन सुराज के प्रवक्‍ता पवन वर्मा ने कहा कि नीतीश कुमार इन चुनावों के 'एक्स' फैक्टर थे. नीतीश कुमार पिछले 20 वर्षों से मुख्यमंत्री हैं. लालू के जंगल राज के बाद नीतीश का सबसे बड़ा योगदान कानून-व्यवस्था को बहाल करना था.

वोट चोरी अब कोई मुद्दा नहीं, बिहार चुनाव में नीतीश कुमार थे 'एक्स' फैक्टर: पवन वर्मा
  • जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा कि अब 'वोट चोरी' कोई मुद्दा नहीं रह गया है.
  • पवन वर्मा ने नीतीश कुमार को बिहार चुनाव का एक्स फैक्टर बताया और उनके सुशासन और कानून-व्यवस्था को सराहा.
  • बिहार चुनाव में खराब प्रदर्शन पर वर्मा ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि ये नतीजे पार्टी के लिए एक झटका हैं.
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नई दिल्‍ली :

जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र के लिए वैध दस्तावेज घोषित करने के बाद "वोट चोरी" का कोई मतलब नहीं रह गया है. साथ ही वर्मा ने कहा कि नीतीश कुमार इन चुनावों के 'एक्स' फैक्टर थे. नीतीश कुमार पिछले 20 वर्षों से मुख्यमंत्री हैं. लालू के जंगल राज के बाद नीतीश का सबसे बड़ा योगदान कानून-व्यवस्था को बहाल करना था. साथ ही उन्‍होंने बिहार चुनाव में पार्टी की हार को लेकर भी अपनी बात रखी. 

न्‍यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्‍यू में पवन वर्मा ने कहा, "हम एसआईआर के खिलाफ नहीं हैं. मतदाता सूची को अपडेट करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है. हमने बस इतना कहा था कि बिहार में 8 करोड़ मतदाता हैं और अगर यह प्रक्रिया जून में शुरू होती है तो बहुत कम समय बचेगा और अराजकता पैदा हो सकती है. यह फरवरी में भी शुरू हो सकता था, लेकिन बाद में जब सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को एक वैध दस्तावेज घोषित कर दिया तो वोट चोरी कोई मुद्दा नहीं रहा."

नीतीश कुमार थे 'एक्स' फैक्‍टर: पवन वर्मा 

पवन वर्मा ने कहा, "नीतीश कुमार इन चुनावों के 'एक्स' फैक्टर थे. लोगों ने मान लिया था कि नीतीश कुमार का युग समाप्त हो गया है. नीतीश कुमार पिछले 20 वर्षों से मुख्यमंत्री हैं. लालू के जंगल राज के बाद नीतीश का सबसे बड़ा योगदान कानून-व्यवस्था को बहाल करना था, उनका अपना व्यक्तित्व है, कोई वंशवाद की राजनीति नहीं, व्यक्तिगत ईमानदारी, उन्हें 'सुशासन बाबू' नाम दिया गया था और वे इस देश के समाजवादी आंदोलन की सबसे परिष्कृत उपज हैं."

वर्मा ने कहा कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि वे भविष्य के प्रधानमंत्री हो सकते थे, बिहार की महिलाओं को उन पर भरोसा है. 

पार्टी के खराब प्रदर्शन पर भी बोले पवन वर्मा  

बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर भी वर्मा ने प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि ये नतीजे पार्टी नेतृत्व के लिए एक झटका हैं. उन्होंने कहा, "हम सभी स्तब्ध हैं. पदयात्रा के दौरान बड़ी संख्या में लोग शामिल होते थे... हमें आश्चर्य है कि इसका असर नतीजों पर नहीं पड़ा. हमारे विषय प्रासंगिक थे... हमारे मुद्दे बाद में चुनावी मुद्दे बन गए."

साथ ही उन्‍होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मतदाताओं से अपने बच्चों के लिए मतदान करने का आह्वान, जन सुराज के चुनावी नारे जैसा ही था. 

पूर्व राजनयिक और प्रसिद्ध लेखक ने जोर देकर कहा कि पार्टी अपनी विचारधारा के लिए संघर्ष जारी रखेगी और भविष्य की रणनीति पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर तय करेंगे. 

वर्मा ने कहा, "उन्होंने (प्रशांत किशोर) बिहार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सार्वजनिक रूप से व्यक्त की है. नई पार्टियों के लिए स्थापित पार्टियों से मुकाबला करना आसान नहीं होता है. नतीजे अभी-अभी आए हैं. पार्टी इस पर विचार करेगी. लड़ाई की रणनीति प्रशांत किशोर खुद बताएंगे. प्रयास में कोई कमी नहीं है, हमारी सोच सही है और हमारे इरादे साफ हैं. नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं हैं."

चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर द्वारा स्थापित नवगठित जन सुराज पार्टी को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है, लगभग सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही. 

बिहार चुनाव में एनडीए की शानदार जीत 

एनडीए की 'सुनामी' ने बिहार में विपक्षी राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को करारी शिकस्‍त दी है. भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और जनता दल (यूनाइटेड) 85 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. सत्तारूढ़ गठबंधन के अन्य सहयोगियों ने भी शानदार स्ट्राइक रेट दर्ज किया है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 19, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने चार सीटें जीती हैं. 

सत्तारूढ़ एनडीए को 202 सीटें मिलीं, जो 243 सदस्यीय सदन में तीन-चौथाई बहुमत है. यह दूसरी बार है जब एनडीए ने विधानसभा चुनावों में 200 का आंकड़ा पार किया है. 2010 के चुनावों में एनडीए ने 206 सीटें जीती थीं. 

महागठबंधन को सिर्फ 35 सीटें मिलीं, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल ने 25 सीटें और कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत हासिल की है.  
 

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