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Bihar Chunav 2025: AIMIM और महागठबंधन में क्यों मचा हुआ है घमासान, क्या है सीमांचल का गणित

सीमांचल बिहार का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला इलाका है. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को यहीं सफलता मिली थी. आइए जानते हैं कि क्या है इस इलाके का राजनीतिक समाजिक समीकरण.

Bihar Chunav 2025: AIMIM और महागठबंधन में क्यों मचा हुआ है घमासान, क्या है सीमांचल का गणित
  • सीमांचल के चार जिलों किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया में विधानसभा की 24 सीटें आती हैं.
  • साल 2020 के चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने इस इलाके में पांच सीटें जीती थीं.
  • सीमांचल की आबादी में मुसलमान करीब 46 फीसदी हैं.
  • वहीं 2015 के चुनाव में महागठबंधन ने 24 में से 17 सीटों पर कब्जा जमाया था. लेकिन 2020 में केवल सात सीटें जीत पाया था.
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नई दिल्ली:

बिहार में महागठबंधन में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को शामिल करने या न करने पर घमासान मचा हुआ है. राजद ने कहा है कि बीजेपी को बिहार में जीतने से रोकने के लिए एआईएमआईएम को विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. पार्टी के राज्य सभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा  ने कहा कि ओवैसी इस तरह से भी सहयोग कर सकते हैं. वहीं कांग्रेस के लोकसभा सदस्य तारिक अनवर ने कहा है कि ओवैसी को महागठबंधन में शामिल होने पर फैसला गठबंधन के सहयोगी मिलजुलकर लेंगे.वहीं ओवैसी की एआईएमआईएम ने बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं. पिछले चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी. आइए जानते हैं कि बिहार में इस पार्टी का आधार क्या है और जहां इसे सफलता मिली है, वहां के  सामाजिक राजनीतिक समीकरण क्या हैं.

सीमांचल की किन सीटों पर लहराया था AIMIM का परचम

एआईएमआईएम ने 2020 के चुनाव में अमौर, बहादुरगंज, बयासी, जोकीहाट और कोचाधामन विधानसभा सीटें जीती थीं.इनमें से अमौर से जीते अख्तरुल ईमान को छोड़कर बाकी की चार सीटों के विधायक राजद में शामिल हो गए थे. एआईएमआईएम ने बिहार की 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसे पांच पर जीत मिली थी. उसके उम्मीदवार चार सीटों पर तीसरे नंबर पर रहे थे. पार्टी को पांच लाख 23 हजार 279 या 1.3 फीसदी वोट मिले थे. 

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साल 2020 के चुनाव में जिन पांच सीटों पर जीत मिली थी, वो सभी सीटें सीमांचल के इलाके में हैं. यह इलाका पश्चिम बंगाल से लगा हुआ है.बिहार के सीमांचल में किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया जिले आते हैं. बिहार की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी इन्हीं जिलों में हैं. इस इलाके में विधानसभा की 24 सीटें हैं.सबसे अधिक सात-सात सीटें कटिहार पूर्णिया जिले में हैं, सीमांचल में यानी कि विधानसभा की 10 फीसदी सीटें सीमांचल में आती हैं.साल 2011 की जनगणना के मुताबिक सीमांचल के जिलों में मुस्लिम आबादी देखें तो अररिया में 43 फीसदी, किशनगंज में 68 फीसदी, पूर्णिया में 38 फीसदी और कटिहार की 44 फीसदी आबादी मुस्लिम है.  कुल मिलाकर सीमांचल की 46 फीसदी आबादी मुस्लिम है.

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कितनी है सीमांचल में मुस्लिम आबादी

मुस्लिम बहुल होने की वजह से सीमांचल की सभी सीटों पर मुसलमान निर्णायक भूमिका में हैं. अगर जिलेवार देखें तो अररिया में मुस्लिमों के अलावा यादव और दलित भी अच्छी संख्या में हैं. वहीं किशनगंज में मुस्लिम ही निर्णायक हैं.इसी तरह पूर्णिया में मुस्लिम मतदाताओं के बाद यादव और अतिपिछड़ी जातियों की आबादी ठीक-ठाक है. कटिहार में मुस्लिम मतदाताओं के अलावा सवर्ण,यादव और ओबीसी मतदाता अच्छी संख्या में हैं. 

एआईएमआईएम ने 2020 के चुनाव में जिन पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी, वो सभी सीमांचल में हैं.

एआईएमआईएम ने 2020 के चुनाव में जिन पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी, वो सभी सीमांचल में हैं.

पिछले चुनाव में इस इलाके में महागठबंधन को एआईएमआईएम ने बहुत नुकसान पहुंचाया था. उससे पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंन ने 24 में से 17 सीटें जीती थीं. लेकिन उस चुनाव में महागठबंधन नें जेडीयू भी शामिल थी. लेकिन 2020 के चुनाव में महागठबंधन केवल सात सीटें जीत पाई थी. उसे 10 सीटों का नुकसान उठना पड़ा था. जिन पांच सीटों पर एआईएमआई ने जीत दर्ज की थी. साल 2015 के चुनाव में उन सीटों पर महागठबंधन ने जीती दर्ज की थी. पिछले चुनाव में मिली सफलता और मुस्लिम आबादी को ध्यान में रखते हुए ही असदुद्दीन ओवैसी बिहार में दम ठोक रहे हैं. अख्तरुल ईमान ने 'एनडीटीवी' को बताया था कि अगर महागठबंधन में उनकी पार्टी को शामिल नहीं किया गया तो वे एक तीसरा मोर्चा बनाएंगे. 

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