भीमा कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा को राहत देते हुए महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि जब तक कोर्ट में सुनवाई जारी है उनको गिरफ्तार नहीं किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से नवलखा के खिलाफ सबूत भी मांगे हैं. मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को 3 बजे होगी इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने नवलखा की याचिका का विरोध किया था. महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि वो नवलखा को मिली गिरफ्तारी से राहत का भी विरोध करते हैं. वहीं जस्टिस अरुण मिश्रा ने गौतम नवलखा के वकील से पूछा कि 438 (अग्रिम जमानत) के तहत क्यों नही याचिका दाखिल की? जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि इस मामले में जांच चल रही है. क्या इस मामले में पुलिस ने नवलखा खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है? इस पर गौतम नवलखा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दूसरे लोगों के खिलाफ दायर हुई है.
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महाराष्ट्र सरकार ने कहा जिनके खिलाफ आरोपत्र दाखिल हुए है वो जेल में बंद है. सिंघवी ने कहा कि आप नवलखा को चार हफ़्तों के लिए गिरफ्तरी से राहत दें वो अग्रिम जमानत याचिका निचली अदालत में दाखिल करेंगे.
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जस्टिस अरुण मिश्रा ने महाराष्ट्र सरकार के वकील से पूछा गौतम नवलखा के खिलाफ आपके पास क्या सबूत है पत्र के अलावा? वहीं नवलखा के वकील सिंघवी ने कहा कि माओवादी ये समझते है कि मैं सरकार का आदमी हूं. जिन 6 पत्रों की बात कही जा रही है वो मेरे पास से बरामद नहीं हुए. आरोप है कि उनमें से एक लेटर की कॉपी मेरे कम्प्यूटर में पाई गई. आपको बता दें कि महाराष्ट्र पुलिस ने 31 दिसंबर 2017 को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. इस सम्मेलन के बाद राज्य के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी.
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