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अयोध्या के राम मंदिर से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक, मोदी सरकार में हुए आधुनिक भारत के पांच निर्माण

आइए हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पांच बड़े और ऐतिहासिक निर्माण कार्य कौन कौन से हैं और उनका महत्व क्या है.

अयोध्या के राम मंदिर से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तक, मोदी सरकार में हुए आधुनिक भारत के पांच निर्माण
  • नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 तो हुई थी.
  • काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है.
  • गुजरात में सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण भी मोदी सरकार में हुआ.
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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को 75 साल के हो जाएंगे. प्रधानमंत्री मोदी का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा है. उनकी उपलब्धियों में सामाजिक-आर्थिक उपलब्धियों के साथ-साथ बड़े और ऐतिहासिक निर्माण कार्य शामिल हैं. इन निर्माण कार्यों में अयोध्या का राम मंदिर, नई संसद भवन, गुजरात में बना स्टैचू ऑफ यूनिटी जैसे निर्माण प्रमुख हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही पांच प्रमुख निर्माण कार्यों के बारे में जो नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में हुए हैं. 

अयोध्या का राम मंदिर

बीजेपी ने अयोध्या में राम मंदिर को राजनीतिक मुद्दा बनाकर सालों तक इसे जिंदा रखा. सुप्रीम कोर्ट ने दशकों तक चले कानूनी विवाद के बाद नवंबर 2019 में सुनाए फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ किया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र नाम से एक ट्रस्ट का गठन किया गया. राम मंदिर के निर्माण का जिम्मा भी इसी ट्रस्ट को सौंपा गया. 

अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में लगी प्रभु श्रीराम की प्रतिमा.

अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में लगी प्रभु श्रीराम की प्रतिमा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में आयोजित एक भव्य समारोह में राम मंदिर का शिलान्यास किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास के तीन साल पांच महीने 20 दिन बाद अयोध्या में बने विशाल और भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की. यह राम मंदिर अपने स्थापत्य कला के लिए मशहूर है. इस मंदिर में स्थापित मूर्ति का निर्माण मैसूर निवासी अरुण योगीराज ने किया है. नागर शैली में बने राम मंदिर की लंबाई 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और ऊँचाई 161 फुट है. इस तीन मंजिले मंदिर का हर तल 20 फीट का है. इस मंदिर में 392 खंभे और 44 दरवाजे लगाए गए हैं.  

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास एक कॉरिडोर बनाया गया है. इसे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है. इसका एक और नाम श्री काशी विश्वनाथ धाम भी है. यह काशी का प्रमुख आकर्षण है. इसका उद्देश्य काशी विश्वनाथ मंदिर को सीधे गंगा नदी के घाटों से जोड़ना है, ताकि भक्तों को मंदिर तक आसानी से पहुंचने में मदद मिले. 

वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

पांच लाख वर्ग फुट में फैली इस परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ मार्च, 2019 को किया था. उन्होंने ही 13 दिसंबर, 2021 को इस कॉरिडोर का उद्घाटन भी किया. इसके निर्माण पर 355 करोड़ रुपये की लागत आई थी.  इसी तरह के एक कॉरिडोर का निर्माण मध्य प्रदेश के उज्जैन में किया गया है, जिसे महाकाल कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

गुजरात के नर्मदा जिले के सरदार सरोवर बांध के पास केवड़िया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल की बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं. यह प्रतिमा साधु बेट नामक नदी द्वीप पर लगी है. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दरअसल भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा है. वहां पर उनका स्मारक भी बनाया गया है. यह दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है. इसकी लंबाई 182 मीटर (597 फीट) है. इसका उद्घाटन 31 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर किया था. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भारतीय मूर्तिकार राम वी सुतार ने डिजाइन किया है. इसका निर्माण लार्सन एंड टुब्रो नाम की भारतीय कंपनी ने किया है. इस प्रतिमा के निर्माण के लिए देशभर से लोह जमा किया गया था. 

 स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण के लिए देश भर से लोहा जुटाया गया था.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण के लिए देश भर से लोहा जुटाया गया था.

नया संसद भवन

देश के लिए नए संसद भवन की जरूरत पिछले काफी समय से महसूस की जा रही थी. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाए थे. लेकिन संसद के दोनों सदनों ने पांच अगस्त 2019 को सरकार से नई संसद के निर्माण के लिए अनुरोध किया था. इस पर आगे बढ़ते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नई संसद के निर्माण की आधारशिला रखी. इस नई संसद को 28 मई 2023 को देश को समर्पित किया गया था. नई इमारत को पुरानी ईमारत के बगल में ही बनाया गया है. देश की नई संसद का डिजाइन विमल पटेल नाम के वास्तुविद ने तैयार किया है. इस त्रिकोणीय संसद को टाटा समूह की एक कंपनी ने बनवाया है. इसमें संसद के दोनों सदनों में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है. नई संसद में छह प्रवेश द्वार हैं. इस नई संसद में पहला सत्र 19 सितंबर 2023 को आयोजित किया गया था. महिला आरक्षण विधेयक इस नई ईमारत से पारित होने वाला पहला विधेयक है.  

संसद की नई इमारत में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है.

संसद की नई इमारत में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है.

देश का गौरव भारत मंडपम 

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में प्रगति मैदान परिसर में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र (आईईसीसी) परिसर का निर्माण किया गया है. इस परिसर को 'भारत मंडपम' नाम दिया गया है. भारत मंडपम दुनिया के सबसे बड़े कन्वेंशन कॉम्प्लेक्स में से एक है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि यह कॉम्प्लेक्स ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक सिडनी ओपेरा हाउस से भी बड़ा है. भारत मंडपम में नटराज की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है. इसकी ऊंचाई 27 फीट और चौड़ाई 21 फीट है. इसका वजन करीब 18 टन है. इस मूर्ति को लॉस्ट वैक्स तकनीक के जरिए अष्टधातु से बनाया गया है. लॉस्ट वैक्स तकनीक का प्रयोग प्रतिमाएं बनाने के लिए चोल साम्राज्य से होता आया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जुलाई  भारत मंडपम का लोकार्पण किया था. इसके निर्माण पर करीब 2700 करोड़ रुपये की लागत आई है.

भारत मंडपम दुनिया के सबसे बड़े कन्वेंशन कॉम्प्लेक्स में से एक है.

भारत मंडपम दुनिया के सबसे बड़े कन्वेंशन कॉम्प्लेक्स में से एक है.

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