Ayodhya Ram Mandir: मध्य प्रदेश के जबलपुर की 88 साल की उर्मिला चतुर्वेदी ने 6 दिसंबर, 1992 के दिन दक्षिणपंथी संगठनों के अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के तहत बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दिन से भोजन नहीं किया है. उर्मिला चतुर्वेदी ने तबसे व्रत लिया था कि वो सामान्य भोजन नहीं करेंगी, बल्कि फलाहार करके तबतक जीवन बिताएंगी, जबतक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन जाता. और अब 28 साल बाद 88 साल की उम्र में आखिरकार उनकी यह इच्छा पूरी होने जा रही है.
हालांकि, कोरोनावायरस महामारी के चलते वो बुधवार को राम मंदिर निर्माण से पहले हो रहे भूमि पूजन में हिस्सा लेने नहीं जा पा रही हैं, जिससे वो काफी निराश हैं. उनका कहना है कि वो बस अयोध्या में ही अपना व्रत तोड़ेंगी. उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि मंदिर का निर्माण हो रहा है. अच्छा होता अगर मैं भी जा पाती. इन्होंने (परिवारवालों) ने कहा है कि वो मुझे बाद में ले जाएंगे. मैंने एक मंत्री से भी बात की थी, जिन्होंने कहा था कि लिस्ट पहले ही बन गई है.'
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उर्मिला चतुर्वेदी का कहना है कि अब वो अपने बचे हुए दिन अयोध्या में सरयू नदी के किनारे बिताना चाहती हैं. उन्होंने कहा, 'अब मैं अपने बचे हुए दिन अयोध्या में ही बिताना चाहती हूं. बहुत अच्छा होगा अगर इसके लिए वहां कोई व्यवस्था कर दी जाए.'
उनकी बहू रेखा, जो परिवार में 17 सालों से हैं, ने बताया कि उनकी सास कभी किसी को खाने की अपनी आदत को बिगाड़ने नहीं देती हैं और फल की व्यवस्था खुद करती हैं. उन्होंने बताया कि अब उर्मिला चतुर्वेदी की उम्र हो चुकी है इसलिए अब परिवारवाले इसमें उनकी मदद करते हैं.
बता दें कि बुधवार को अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल पर निर्माण का आरंभ करने के लिए भूमि पूजन हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ के नेता हिस्सा ले रहे हैं.
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