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This Article is From Jan 01, 2024

अयोध्या नगरी सहिष्णु, सभी परिस्थितियों में मेहमानों का स्वागत करती है: इकबाल अंसारी

PM मोदी का काफिला जब राम पथ से गुजरा तब साधु-संतों के साथ-साथ कई आम लोगों ने पुष्पवर्षा की जिनमें अंसारी भी शामिल थे. 

अयोध्या नगरी सहिष्णु, सभी परिस्थितियों में मेहमानों का स्वागत करती है: इकबाल अंसारी
अंसारी ने कहा कि मेहमानों का स्वागत करना हमारा कर्तव्य है और मैंने वही किया. (फाइल)
अयोध्या :

अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि पर बने रहे भव्य मंदिर में रामलला के ‘प्राण प्रतिष्ठा' समारोह से तीन सप्ताह पहले रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी ने रविवार को कहा कि अयोध्या नगरी सहिष्णु है और सभी स्थितियों में मेहमानों का स्वागत करती है. बाईस जनवरी को ‘प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के अवसर पर एक लाख से अधिक भक्तों के इस शहर में आने की उम्मीद है. सूत्रों के अनुसार, आमंत्रित सूची में भारत और विदेश से लगभग 7,000 मेहमान हैं.

अंसारी ने यहां अपने आवास पर एक साक्षात्कार में बताया कि मुस्लिम समुदाय राम मंदिर मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के 2019 के फैसले का सम्मान करता है.

एक सदी से भी अधिक पुराने इस विवाद का निस्तारण करते हुए, शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर एक न्यास द्वारा राम मंदिर के निर्माण का फैसला दिया और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ भूमि आवंटित करने को कहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त, 2020 को अयोध्या में ‘भूमिपूजन' किया था और ‘प्राण प्रतिष्ठा' से करीब एक महीने पहले, उन्होंने शनिवार को शहर का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने एक रोड शो किया किया और पुनर्विकसित अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन और नवनिर्मित हवाई अड्डा का उद्घाटन किया. 

मोदी का काफिला जब राम पथ से गुजरा तब साधु-संतों के साथ-साथ कई आम लोगों ने पुष्पवर्षा की जिनमें अंसारी भी शामिल थे. 

अंसारी ने कहा, ‘‘ये हमारी परंपरा है. हम अपने शहर में आने वाले मेहमानों का स्वागत करते हैं.''

अंसारी का साधारण घर राम पथ के पास कोटिया पंजीटोला में स्थित है. मुख्य दरवाजे के बाहर दीवार पर एक पुराना हरे रंग का बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर उनका उल्लेख ‘मुद्दई बाबरी मस्जिद' के रूप में किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं वहां उस सड़क के मोड़ पर खड़ा था जो हमारे पड़ोस की ओर जाती है, और जैसे ही उनका (प्रधानमंत्री का) काफिला गुजरा, मैंने शहर में उनका स्वागत करने के लिए फूल की पंखुड़ियों की वर्षा की.''

उनके द्वारा पुष्प वर्षा किये जाने का वीडियो वायरल हो गया, जिसने दोनों समुदायों के कई लोगों को हतप्रभ कर दिया. 

अंसारी ने कहा, ‘‘इस देश में कई तरह के लोग हैं. गलत मानसिकता रखने वाले लोग (मैंने जो किया उसके लिए) मेरी आलोचना कर सकते हैं. वह हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं और वह अयोध्या आये थे. मेहमानों का स्वागत करना हमारा कर्तव्य है और मैंने वही किया.''

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी परंपरा है. अयोध्या एक धार्मिक नगरी है. यहां हर धर्म और जाति के लोग अपनी आस्था का पालन करते हैं. बाहर से आने वाला हर व्यक्ति हमारा मेहमान है. हम हर परिस्थिति में उनका स्वागत करेंगे.''

अंसारी से जब पूछा गया कि क्या उन्हें प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रण मिला है तो उन्होंने दबे स्वर में कहा, ‘‘नहीं, मुझे नहीं मिला.''

जब पूछा गया कि अयोध्या के मुस्लिम ‘प्राण प्रतिष्ठा' को कैसे देखते हैं तो अंसारी ने कहा कि इस पवित्र शहर में मुस्लिम समुदाय प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में ‘‘कुछ भी नहीं सोच रहा है''.

उन्होंने कहा, ‘‘यह अयोध्या है. बहुत लोग आयेंगे, अच्छा है, आकर दर्शन करेंगे, पूजा करेंगे. मेलों में लोग आते हैं, अयोध्या सहिष्णु है.''

अंसारी ने कहा, ‘‘मुसलमान ज्यादा राजनीति नहीं करते. इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोग इस बारे में कुछ नहीं सोच रहे हैं. वे वहीं हैं, जहां वे थे.''

उन्होंने कहा, ‘‘लाखों लोग आ रहे हैं, वे पूजा और दर्शन करेंगे...जैसे वे कुंभ मेले (प्रयागराज में) में करते हैं. वीवीआईपी आएंगे, बड़े उद्योगपति आएंगे, भक्त आएंगे, कोई मुद्दा नहीं है. अच्छे लोग आएंगे और सरकार की ओर से व्यवस्था होगी.''

उन्होंने कहा कि वह अपने समुदाय की ओर से नहीं बोल सकते, लेकिन ‘‘यह उनकी निजी राय है.''

हाशिम अंसारी थे मुख्य वादियों में से एक

अंसारी के पिता हाशिम अंसारी अपने निधन तक अयोध्या मामले में मुख्य वादियों में से एक थे. उनका निधन 2016 में करीब 94 साल की उम्र में हुआ था.

अंसारी के अतिथि कक्ष में दीवार के एक तरफ ब्रिटिश लाइब्रेरी के सौजन्य से 1900 की शुरुआत की खींची गई बाबरी मस्जिद की श्याम-श्वेत तस्वीर लगी है, जबकि दूसरी ओर उनके दिवंगत पिता और मस्जिद की छवियों वाला एक पोस्टर लटका हुआ है.

मुद्दा ‘व्यावहारिक रूप से समाप्त' हो गया : अंसारी

उनका मानना है कि यह विवादास्पद मुद्दा 30 साल पहले ‘व्यावहारिक रूप से समाप्त' हो गया था, जब 16वीं सदी में बने विवादित ढांचे को गिरा दिया गया था. छह दिसंबर, 1992 को देश के विभिन्न हिस्सों से अयोध्या में जमा हुए कारसेवकों की उग्र भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था, जिसके बाद देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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