देशभर की तमाम मस्जिदों में शुक्रवार को जुमे की नमाज़ में मुसलमानों से अपील की गई कि अयोध्या मामले का चाहे जो फैसला हो वो अमन कायम रखें. वो ना तो खुशियां मनाएं और ना ही गम और ना ही किसी तरह के प्रदर्शन में शामिल हों. अपील में कहा गया कि इसी महीने में पैगंबर मोहम्म्द साहब पैदा हुए हैं. इसलिए इस महीने की पवित्रता बरकरार रखें. इसके लिए मशहूर धर्म गुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली ने अपील की थी. लखनऊ की जामा मस्जिद ईदगाह में नमाजी खुदा की इबादत में मशगूल रहे लेकिन अयोध्या मसले के फैसले को लेकर वे तमाम तरह के अंदेशों से घिरे हैं. ऐसे में पेश इमाम उन्हें समझाते हैं कि वो डरें नहीं. वे भी इस मुल्क में बराबर के शाहिर हैं और फैसला आने पर एक अच्छे मुसलमान का फर्ज निभाएं.
पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली ने कहा, 'जो भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए हम उसका एहतराम करें और इस सिलसिले में ना कोई जश्न मनाएं और न उसमें कोई एहतेजाज करें. ना नारेबाजी करें और ना कोई ऐसी बात कहें जो किसी भी कौम के लिए या किसी भी कौम की धार्मिक भावनाओं या किसी भी कौम के मजहबी जज्बात को मजरूह करने वाला हो.'
मौलाना मुसलमानों को याद दिलाते हैं कि ये महीना पैगंबर मोहम्मद साहब की पैदाइश का महीना है इसलिए और भी जरूरी है कि उनकी तालीम याद रखी जाए. वो कहते हैं, 'अल्लाह ने खुद कुरान में फरमाया है कि अल्लाह जमीन पर फसाद और बिगाड़ पैदा करने वालों को हरगिज पसंद नहीं करता है. और एक दूसरी आयत में अल्लाह ने फरमाया जिसका आसान जुबान में तर्जुमा यह है कि 'जो शख्स भी किसी भी इंसान का नाहक कत्ल करता है वो ऐसा है जैसे उसने पूरी इंसानियत का कत्ल कर दिया हो. और जो इंसान किसी भी इंसान की जान बचाता है तो वो ऐसा है जैसे उसने पूरी इंसानियत की जान बचा ली.'
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कुरान और पैगंबर के हवाले से मौलानाओं की अपील का आवा पर अच्छा असर नजर आता है. अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर खास तैयारी है. एहतियातन बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों की तैनाती की जा रही है. प्रशासन लगातार अलग-अलग मठ-मंदिरों के साधु संतों से बैठक कर हर हाल में शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है.
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