Exclusive: 15 घंटे, कठिन चढ़ाई, सुरक्षाबलों ने लिया माओवादियों से लोहा; मुठभेड़ में घायल जवानों ने बतायी पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ के कांकेर में सुरक्षाबलों और पुलिस में हुए मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए वहीं इस घटना में 3 जवान घायल हो गए.

Exclusive: 15 घंटे, कठिन चढ़ाई, सुरक्षाबलों ने लिया माओवादियों से लोहा;  मुठभेड़ में घायल जवानों ने बतायी पूरी कहानी

भोपाल:

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए. इस घटना में 25 लाख रुपये का इनामी नक्सली कमांडर भी मारा गया. 15 अप्रैल की रात, सीमा सुरक्षा बल (BSF) और जिला रिजर्व गार्ड (DRG) का एक दल छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के हापाटोला के घने जंगलों में गश्त पर पहुंचा था.  भीषण गोलीबारी सहित तलाशी और घेराबंदी अभियान 15 घंटे से अधिक समय तक चला, जिसमें 29 माओवादी मारे गए, जिनमें उनका शीर्ष कमांडर शंकर राव (Shankar Rao) भी शामिल था. इस मुठभेड़ में तीन जवान भी घायल हो गए.  घायल जवानों में दो बीएसएफ से और एक डीआरजी के थे. 

बीएसएफ के सब इंस्पेक्टर रमेश चंद्र चौधरी ने एनडीटीवी को बताया कि कैसे सबसे पहले उनकी पलटन पर माओवादियों ने गोली चलाई थी और गोलियों से घायल होने के बावजूद, वह मुठभेड़ के दौरान अपने जवानों को निर्देशित करते रहे. ऑपरेशन के दौरान सब-इंस्पेक्टर चौधरी घायल हो गए.

कैसे हुआ मुठभेड़, जवानों ने कैसे नक्सलियों को दी मात
बीएसएफ  के सब इंस्पेक्टर रमेश चंद्र चौधरी ने बताया कि हम सोमवार रात को ऑपरेशन के लिए निकले, और सभी टीमें अलग-अलग चौकियों से आए. मंगलवार की सुबह तक, हमने घेरा डाल दिया. हमारे पास खुफिया जानकारी थी कि माओवादी जंगल में मौजूद हैं. हमें लगा कि माओवादी मौजूद होंगे. पहली जगह जहां हम पहुंचे वहां नक्सली नहीं थे. हमें जानकारी थी कि 15-20 मौजूद हैं, लेकिन लगभग 35 नक्सली पहाड़ी पर छिपे थे. 

माओवादी लाइट मशीन गन, इंसास जैसी राइफल और अन्य स्वचालित हथियारों से लैस थे. उन्होंने कहा कि यह बेहद कठिन लड़ाई थी. एक कठिन लड़ाई में, अनुपात आमतौर पर 10:1 होता है, यानी, यदि 1 दुश्मन मौजूद है, तो हमले के लिए कम से कम 10 सैनिकों की आवश्यकता होती है. डीआरजी और बीएसएफ के जवानों ने सावधानीपूर्वक चढ़ाई की योजना बनाई और उन्हें घेर लिया. 

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नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने घेर लिया
सब इंस्पेक्टर  रमेश चंद्र चौधरी ने बताया कि हमारी टीम ने आस-पास के लोगों को छिपा लिया और घेराबंदी करने के लिए नक्सलियों को घेर लिया. हमें पता था कि वे छिपने के लिए भागेंगे, और जब वे खुद को बचाने के लिए भागे, तो उन्होंने गोलियां चला दीं, और हमारी टीमों ने जवाबी कार्रवाई की. इस दौरान दोनों ही तरफ से भीषण मुठभेड़ हुआ. 

माओवादियों ने खतरनाक रणनीति का किया इस्तेमाल
रमेश चंद्र चौधरी ने बताया कि मुठभेड़ चल रही थी, और मैं एक पेड़ के पीछे छिप कर मोर्चा ले रहा था. उन्होंने भागने के लिए घात लगाकर जवाबी फायरिंग की, इसी बीच एक एलएमजी से गोली चली और मेरे पैर में लगी. गोली लगने के बाद भी, मैं देख सकता था और बता सकता था मेरे जवानों ने मुझे बताया कि माओवादी जमीन पर लेटे हुए हैं और स्वचालित हथियारों का उपयोग कर रहे हैं. यह एक बहुत ही खतरनाक रणनीति है. जिसका उपयोग उन्होंने हमारे खिलाफ किया क्योंकि जब आप लेटते हैं तो लक्ष्य छोटा हो जाता है. मुठभेड़ में डीआरजी का जवान सूर्यकांत श्रीमाली भी घायल हो गया. उन्होंने याद किया कि कैसे उनकी टीम ने माओवादियों पर घात लगाकर हमला करने के लिए दो तरफ से घेराबंदी की थी.

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फल खाकर लड़ते रहे जवान
जवानों ने बताया कि हमने नदी पार की और जानकारी मिली कि लगभग 25 माओवादी मौजूद थे, पहाड़ी पर चढ़ गए और नदी की धारा पार कर गए, लेकिन उनका पता नहीं लगा सके. हमने मंगलवार की सुबह फल खाया और फिर अपनी खोज के साथ आगे बढ़े. 

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