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औरंगजेब विवाद: बॉलीवुड, बजट सत्र और नागपुर की आग... यहां समझिए सारी बात

Aurangzeb Controversy Nagpur Incident: मंगलवार को फडणवीस ने विधानसभा में इस सांप्रदायिक हिंसा पर जानकारी देते हुए इसे अफवाहों का नतीजा बताया.

औरंगजेब विवाद: बॉलीवुड, बजट सत्र और नागपुर की आग... यहां समझिए सारी बात
Aurangzeb Controversy Nagpur Incident: नागपुर हिंसा के बाद क्षतिग्रस्त कार को देखते एक स्थानीय निवासी.

Aurangzeb Controversy Nagpur Incident: मुंबई प्रेस क्लब में इन दोनों ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों की एक प्रदर्शनी चल रही है. प्रदर्शनी में 1992 - 93 के मुंबई में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़ी तस्वीरों की नुमाइश की गई है. प्रदर्शनी को इस उद्देश्य से लगाया गया है कि लोग सांप्रदायिक हिंसा की वीभत्सता को जान सकें और उससे सबक लेकर आने वाले वक्त में ऐसे टकराव को टालें, लेकिन विडंबना देखिए कि जिस मुंबई में सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ प्रदर्शनी चल रही है, उससे महज 900 किलोमीटर के फासले पर बसा नागपुर शहर सांप्रदायिक तनाव की गिरफ्त में है. मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है और नागपुर उप राजधानी. नागपुर की मौजूदा हालात औरंगजेब नाम के एक ऐसे शख्स को लेकर हुई, जो अब से 318 साल पहले ही मर चुका है. महाराष्ट्र की राजनीति में औरंगज़ेब का नाम लंबे समय से उछलता रहा है, और नागपुर का दंगा उसकी नवीनतम कड़ी है.

फडणवीस के लिए असहज स्थिति

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गृह विभाग के प्रमुख होने के नाते, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए उनके अपने गृहनगर में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ना असहज करनेवाला विषय है. सोमवार शाम, दो समुदायों के गुटों के बीच झड़प हुई. आगज़नी, पुलिस और राहगीरों पर हमले, और वाहनों की तोड़फोड़ जैसी घटनाएं सामने आईं. दंगाइयों ने हिंसा फैलाने के लिए तलवारें, चॉपर, कुल्हाड़ियां और डंडों का इस्तेमाल किया. नागपुर पुलिस ने घंटों की मशक्कत के बाद स्थिति को काबू में किया, लेकिन तब तक उनके 33 जवान जिनमें तीन डीसीपी रैंक के अधिकारी थे, घायल हो चुके थे.

दंगा पूर्वनियोजित?

मंगलवार को फडणवीस ने विधानसभा में इस सांप्रदायिक हिंसा पर जानकारी देते हुए इसे अफवाहों का नतीजा बताया. उनके अनुसार, सोमवार सुबह विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने एक प्रदर्शन किया, जिसमें औरंगज़ेब की कब्र की एक प्रतिकृति जलाई गई. शाम तक अफवाह फैल गई कि कब्र पर चढ़ी चादर पर धार्मिक ग्रंथ लिखे थे. इसके बाद, दंगाइयों ने शहर में उत्पात मचाना शुरू कर दिया. फडणवीस ने इस तथ्य की ओर भी ध्यान दिलाया कि घटनास्थल से बड़ी संख्या में पत्थर मिले, जिससे उन्हें संदेह हुआ कि यह दंगा पूर्वनियोजित हो सकता है. उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी दावा किया कि एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने की साजिश थी.

पिछले तीन हफ्तों से, मुगल सम्राट औरंगज़ेब को लेकर विवाद महाराष्ट्र की राजनीति में छाया हुआ है. एक बॉलीवुड फिल्म में औरंगज़ेब द्वारा छत्रपति संभाजी पर किए गए अत्याचारों के चित्रण ने दर्शकों को भावुक कर दिया. कुछ संगठनों ने औरंगजेब और छत्रपति संभाजी की अदावत को एक धार्मिक संघर्ष के रूप में पेश किया. इसी बीच, समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने औरंगज़ेब की प्रशंसा कर दी, जिससे हिंदुत्ववादी संगठनों में रोष फैल गया. माफी मांगने के बावजूद आज़मी के खिलाफ दो आपराधिक मामले दर्ज कर दिए गए.

औरंगज़ेब की कब्र

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कुछ हिंदूवादी संगठनों ने खुल्ताबाद (संभाजीनगर) स्थित औरंगज़ेब की कब्र को ध्वस्त करने की मांग की. सोमवार को, इस मांग को तेज़ करने के लिए महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किए गए. नागपुर में हुआ प्रदर्शन कुछ ही घंटों में सांप्रदायिक संघर्ष में बदल गया. फडणवीस ने स्पष्ट किया कि यह कब्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है, और सरकार इसे सुरक्षित रखने के लिए बाध्य है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि औरंगज़ेब का महिमामंडन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) ने आरोप लगाया कि औरंगज़ेब विवाद पूरी तरह से सत्तारूढ़ दलों द्वारा रचा गया एक षड्यंत्र है, जिससे किसानों की आत्महत्या, महिलाओं की सुरक्षा, महंगाई जैसी गंभीर समस्याओं से ध्यान भटकाया जा सके. विपक्षी विधायकों ने विधान भवन के बाहर प्रदर्शन कर, उत्तेजक बयान देने के लिए मंत्री नितेश राणे को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की. हाल ही में, राणे ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय की कार सेवा का संदर्भ देते हुए कहा था कि हिंदुत्ववादी संगठनों को अपना काम करना चाहिए और सरकार को अपना. छत्रपति संभाजी और औरंगज़ेब के नाम पहले भी राजनीतिक दलों द्वारा इस्तेमाल किए जाते रहे हैं. औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर किया जाना भी इसी राजनीतिक विमर्श का परिणाम है.

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