अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) के भूमि पूजन की तैयारियां जोरों पर हैं. पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भूमि पूजन किया जाएगा. इस दौरान सीमित संख्या में VVIP लोग शामिल होंगे. पांच अगस्त की तारीख भारत के इतिहास में एक अहम दिन के रूप में रूप दर्ज होने वाली है. एक साल पहले इसी दिन यानी 5 अगस्त 2019 को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने एक विवादस्पद लेकिन ऐतिहासिक फैसले का ऐलान किया था. वह फैसला था जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने का. जिसके बाद जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट गया.
इसके एक साल बाद लंबी सियासी और अदालत लड़ाई के बाद अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए भी 5 अगस्त की तारीख ही चुनी गई है. भूमि पूजन का दिन करीब है. भूमि पूजन को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही हैं. सूत्रों के मुताबिक, भूमि पूजन में ज्यादा लोगों को आमंत्रित नहीं किया जाएगा. आइए जानते हैं राम मंदिर कैसे बना राजनीतिक मुद्दा?
सूत्रों के मुताबिक, भूमि पूजन में आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी के बड़े नेताओं को बुलाया जाएगा. इस बीच सूत्रों से जानकारी मिली है कि मंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाले बीजेपी के दो वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी अयोध्या नहीं जा सकेंगे. ट्रस्ट ने उन्हें आमंत्रित किया किंतु दोनों नहीं आ सकेंगे. वीडियो कॉंफ़्रेंस के ज़रिए समारोह में उन्हें शामिल कराया जाएगा.
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