माफिया से नेता बने अतीक अहमद की हत्या पिछले कुछ सालों में संभवत: उत्तर प्रदेश की सबसे चौंकाने वाली घटना है, खासतौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में. अतीक अहमद के खिलाफ हत्या और अपहरण सहित 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे. हाल ही में उसे अपहरण के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. अहमद पांच बार विधायक रह चुका था. साथ ही समाजवादी पार्टी का पूर्व सांसद था. 62 साल के अतीक अहमद के खिलाफ पहला आपराधिक मामला 44 साल पहले 1979 में सामने आया था, जब उस पर हत्या का आरोप लगा था.
अतीक 90 और 2000 के दशक की शुरुआत में प्रमुखता से उभरा. उस वक्त उत्तर प्रदेश राजनीतिक अस्थिरता और राष्ट्रपति शासन के कई दौरों से गुजर रहा था.
रिपोर्टों के मुताबिक, अतीक प्रयागराज, फिर इलाहाबाद और पूर्वी यूपी के अन्य हिस्सों में जबरन वसूली और जमीन हड़पने के गिरोह का सरगना बन गया.
राजनीति में अतीक की एंट्री
यही वह वक्त था जब अतीक का राजनीति में प्रवेश हुआ. अतीक ने 1989 में निर्दलीय के रूप में इलाहाबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की. इसी सीट को उसने बाद में समाजवादी पार्टी और फिर अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़कर भी जीता. अतीक ने 2004 का लोकसभा चुनाव फूलपुर सीट से लड़ा और जीता. यह कभी जवाहर लाल नेहरू की लोकसभा सीट थी.
... और शुरू हुआ बुरा वक्त
वहीं अतीक को 2005 में उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया और 2006 में राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल के अपहरण का आरोप लगा. इसके दो साल बाद 2008 में अतीक ने यूपी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और समाजवादी पार्टी ने निष्कासित कर दिया.
लोकसभा चुनावों में हार
जमानत पर बाहर और किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराए जाने के बाद अतीक ने 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा और दोनों ही चुनावों में उसे हार झेलनी पड़ी.
अतीक को 2017 में एक मारपीट के मामले में गिरफ्तार किया गया था. 2019 में जेल में रहते हुए उसे अपहरण की साजिश रचने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अहमदाबाद की साबरमती जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था.
100 एफआईआर, गिरोह में 144 सदस्य
यूपी के मंत्री राजेश्वर सिंह ने कहा कि अतीक के खिलाफ 100 नामजद एफआईआर थीं और वह 54 मुकदमों का सामना कर रहा था, जहां बहुत कम प्रगति हुई थी क्योंकि गवाह मुकर रहे थे. पुलिस गैंग चार्ट के अनुसार, उसके गिरोह में 144 सदस्य थे और उच्च न्यायालय के 10 न्यायाधीशों ने उसके मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने कहा कि अतीक के पास 11,000 करोड़ रुपये की संपत्ति थी.
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