मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दो महीने के अंदर विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2023) होने वाले हैं. इन तीनों राज्यों में बीजेपी (BJP) ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के बजाय सामूहिक नेतृत्व के भरोसे चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इन राज्यों में बीजेपी के दिग्गज नेताओं के भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इस लिस्ट में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh Chouhan), राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह (Raman Singh) का नाम शामिल है. सवाल उठ रहा है कि इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य क्या होगा? अभी तक इन तीनों ही नेताओं की विधानसभा में उम्मीदवारी घोषित नहीं की गई है. इस बीच बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक 1 अक्टूबर को होगी. इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा होनी है.
वसुंधरा राजे राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. रमन सिंह तीन बार छत्तीसगढ़ के सीएम रह चुके हैं. खास बात यह है कि इस लिस्ट में सीएम शिवराज का भी नाम शामिल हैं, जो मध्य प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं. वे इससे पहले तीन बार राज्य में सीएम रह चुके हैं. लेकिन, बीजेपी ने इन तीन राज्यों में सामूहिक नेतृत्व के दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अभी तक पार्टी की ओर से किसी भी नेता को सीएम फेस नहीं बनाया गया है. बीजेपी नेतृत्व ने शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे को सीएम चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया गया.
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मध्य प्रदेश में सीएम का विकल्प खुला रखा
मध्य प्रदेश में 3 केंद्रीय मंत्री उतारकर सीएम का विकल्प खुला रखा गया है. बीजेपी ने सोमवार को 39 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें 3 केंद्रीय मंत्री और 4 सांसदों के नाम भी शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद सिंह पटेल को पार्टी ने मैदान में उतारा है. अब यही फॉर्मूला राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी अपनाने की बात कही जा रही है. शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे के चुनाव लड़ने पर भी सवाल है. संभावना है कि इस बार रमन सिंह को टिकट ही ना दिया जाए. बीजेपी इन तीनों राज्यों में उनके उत्तराधिकारी की तलाश में है.
राजस्थान में रिपीट होगा मध्य प्रदेश का फॉर्मूला
बीजेपी राजस्थान में मध्य प्रदेश के फॉर्मूले पर अमल करते हुए केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा के चुनावी रण में उतार सकती है. इनमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम सबसे आगे चल रहा है. केंद्रीय कानून मंत्री और बीकानेर से सांसद अर्जुन राम मेघवाल का नाम भी इसमें शामिल है. इसके साथ ही पूर्व केंद्रीय मंत्री और जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्द्धन सिंह राठौर भी इस रेस में हैं. राजसमंद से सांसद दीया कुमारी विधानसभा चुनाव लड़ सकती हैं.
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राजस्थान चुनाव के लिए बीजेपी का माइक्रो मैनेजमेंट
-बीजेपी ने राजस्थान को 7 ज़ोन में बांटा है.
-7 ज़ोन के 44 जिलों की ज़िम्मेदारी 44 नेताओं को दी गई है.
-राजस्थान के बाहर के हर नेता को एक जिले की कमान सौंपी गई है.
-इनका काम मुद्दे तय करना है. उम्मीदवारों की मदद करना है.
-केंद्रीय नेताओं के कार्यक्रम का समन्वय भी करना है.
-अन्य राज्यों से सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, विधायकों, पूर्व सांसदों की तैनाती होनी है.
-सभी बाहरी नेताओं को जिलों, विधानसभाओं, मंडलों की जिम्मेदारी दी गई है.
-बाहरी नेताओं को चुनाव मैनेजमेंट की जिम्मेदारी.
-हर ज़ोन के प्रभारी और सह प्रभारी भी बनाए गए.
किसे किस जिले की मिली जिम्मेदारी?
-प्रवेश वर्मा (सांसद, दिल्ली)- जोधपुर देहात
-सुनील जाखड़ (अध्यक्ष, पंजाब BJP)-सीकर
-जितेंद्र सिंह (केंद्रीय मंत्री)- जयपुर शहर
-निर्मल सिंह (पूर्व डिप्टी सीएम, जम्मू कश्मीर)- जयपुर देहात दक्षिण
-कविंद्र गुप्ता (पूर्व डिप्टी सीएम, जम्मू कश्मीर)- दौसा
-अरविंद यादव (नेता, हरियाणा BJP)-अजमेर देहात
-रमेश बिधूड़ी (सांसद, दिल्ली)- टोंक
-कृष्ण पाल गुर्जर (केंद्रीय मंत्री)- सवाई माधोपुर
-रमेश पोखरियाल निशंक (पूर्व सीएम, उत्तराखंड)- करौली
-धन सिंह रावत (मंत्री, उत्तराखंड)- धौलपुर
-ओमप्रकाश धनखड़ (अध्यक्ष, हरियाणा BJP)- झुंझुनू
-नायाब सैनी (सांसद, हरियाणा)- अलवर दक्षिण
-सुनीता दुग्गल (सांसद, हरियाणा)- अलवर उत्तर
-अरुण असीम (नेता, यूपी BJP)- कोटा देहात
-कुलदीप कुमार (उपाध्यक्ष, उत्तराखंड BJP)- बारां
-प्रवाण माली (विधायक, गुजरात)- बांसवाड़ा
-मुकेश पटेल (विधायक, गुजरात)- राजसमंद
-महिपाल ढाडा (MLA, हरियाणा)- हनुमानगढ़
- संदीप जोशी (महामंत्री, हरियाणा BJP)- चूरू
-जुगलकिशोर (नेता, यूपी BJP)- जयपुर देहात
राजस्थान : जेपी नड्डा और अमित शाह का विधानसभा चुनाव को लेकर वरिष्ठ नेताओं के साथ मंथन
राजस्थान की रणनीति पर मंथन
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जयपुर में देर रात तक बैठक की. शाह और नड्डा ने सबसे पहले वसुंधरा राजे के साथ बैठक की. इसके बाद राज्य के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक हुई. बैठक में विधानसभा सीटों और रणनीति पर चर्चा हुई. इस दौरान तय हुआ कि बीजेपी सामूहिक नेतृत्व के फ़ॉर्मूले के साथ चुनाव में उतरेगी. किसी को भी मुख्यमंत्री चेहरा नहीं बनाया जाएगा. रणनीति के मुताबिक, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को बीजेपी कमजोर सीटों से चुनाव लड़ा सकती है. बैठक में स्पष्ट संदेश दिया गया कि पार्टी संगठन सर्वोच्च है. नेता उसके बाद आते हैं.
छत्तीसगढ़ में दिग्गज
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों ने कमर कसनी शुरू कर दी है. दोनों ही दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरुवार को छत्तीसगढ़ पहुंचे. राजस्थान का दौरा करने के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह रायपुर पहुंचे. वहां बीजेपी दफ़्तर में प्रदेश के नेताओं के साथ चुनावी रणनीति पर मंथन किया. साथ ही चुनाव घोषणापत्र के ड्राफ़्ट और कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर भी चर्चा किए जाने की उम्मीद है. राज्य बीजेपी के नेताओं से परिवर्तन यात्रा को लेकर फीडबैक भी लिया.
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वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे छत्तीसगढ़ के बलौदाबाज़ार-भाटापारा में किसानों और मज़दूरों के सम्मेलन में हिस्सा लिया. इस मौके पर खरगे ने बीजेपी और केन्द्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बीजेपी सिर्फ लोगों को भ्रमित करने में लगी है.
बहरहाल, मध्य प्रदेश के बाद केंद्रीय मंत्रियों और सासंदों को टिकट देकर बीजेपी ये भी संदेश देना चाहती है कि बीजेपी के पास सीएम फेस की कमी नहीं है. साथ ही नए और कद्दावर चेहरों से कार्यकर्ताओं में जोश आएगा. नए चेहरों की ताजगी दिखेगी और चुनाव अभियान में धार आएगी.
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