सूरत: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि देश के लोग सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों के ऋणी हैं.
सिंह ने 131 शहीद सैनिकों के परिवारों को सम्मानित करने और उन्हें आर्थिक सहायता देने के लिए यहां मारुति वीर जवान ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘सुरक्षा प्रथम' का सिद्धांत ‘भारत प्रथम' से आता है.
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘इस देश की सीमाओं के भीतर काम करने वाले सभी लोग, चाहे वे वैज्ञानिक हों, व्यवसायी हों, किसी पेशे से जुड़े व्यक्ति हों या सरकार चलाने वाले लोग, सुरक्षित हैं क्योंकि हमारे बहादुर सैनिक राष्ट्रीय गौरव की मजबूत भावना के साथ हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं.'' केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘आप और मैं ‘भारत प्रथम' के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति हैं. ‘भारत प्रथम' का मार्ग अपनाए जाने पर सुरक्षा (की भावना) भी पहले आती है. इसलिए ‘सुरक्षा प्रथम' की अवधारणा ‘भारत प्रथम' की अवधारणा से निकलती है.''
उन्होंने कहा कि एक सैनिक का कर्तव्य और जिम्मेदारी अद्वितीय है, क्योंकि वह हर दिन मौत का सामना करता है और जानता है कि दुश्मन की गोली कहीं से भी, कभी भी आ सकती है. सिंह ने कहा, ‘‘यह जानते हुए भी वे पूरे जी-जान से सीमाओं की रक्षा करते हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि हमारे सैनिकों के मन में इस देश और यहां के लोगों की सुरक्षा के प्रति प्रेम की भावना होती है. उनके भीतर राष्ट्रीय स्वाभिमान की प्रबल भावना होती है. समाज के रूप में, हम सामूहिक रूप से अपने सैनिकों के ऋणी हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के कई सैनिक बेहद सामान्य, गरीब परिवारों से आते हैं और वे सेना में इसलिए शामिल होते हैं क्योंकि उनमें देश के लिए कुछ करने का जुनून होता है.'' सिंह ने कहा, ‘‘कुछ हीरे जमीन से (कीमती) पत्थरों के रूप में निकलते हैं, जबकि कुछ हीरे इंसानों के रूप में होते हैं, जो उनके व्यवहार और उनके मूल्यों से बनते हैं. एक हीरा ऐसा भी है जो देश की सीमाओं की रक्षा करता है.''
एक विज्ञप्ति में कहा गया कि मारुति वीर जवान ट्रस्ट ने 131 शहीद सैनिकों के परिवारों को श्रद्धांजलि के रूप में प्रत्येक को 2.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की.
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