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This Article is From Nov 28, 2014

जम्मू के अरनिया में आतंकियों से मुठभेड़ खत्म, लेकिन पीछे रह गए कई सवाल

जम्मू के अरनिया में आतंकियों से मुठभेड़ खत्म, लेकिन पीछे रह गए कई सवाल
अरनिया:

भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित जम्मू के अरनिया सेक्टर में पिछले 36 घंटों से चल रही भीषण मुठभेड़ इकलौते बचे आतंकी की मौत के साथ ही खत्म हो गई। मुठभेड़ में कुल 11 लोगों की मौत हुई हैं। इनमें 4 आतंकी, 5 नागरिक और 3 फौजी शामिल हैं।

हालांकि सेना और अन्य सुरक्षाबल दूसरे आतंकियों की तलाश में अभी भी तलाशी अभियान छेड़े हुए हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 7 से 8 आतंकी इलाके में नजर आए थे।

जम्मू-कश्मीर में फैले आतंकवाद के इतिहास में यह पहला अवसर था कि आतंकियों ने इस प्रकार जम्मू सीमा में सेना के बंकरों पर कब्जा जमाया और सेना को उन्हें बरबाद करने के लिए टैंकों-बीएमपी तक का इस्तेमाल करना पड़ा।

मुठभेड़ गुरुवार सुबह शुरू हुई थी, जब आतंकवादियों का एक ग्रुप  अरनिया में घुस आया था। इसके बाद वे आरएस पुरा सेक्टर के पिंड खोटे गांव में खाली पड़े सेना के एक बंकर में घुस गए और वहां से गोलीबारी शुरू कर दी।

पिंड खोटे के उस बंकर से शुक्रवार सुबह एक बार फिर गोलीबारी शुरू हो गई। माना जा रहा है कि भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों में से एक जीवित बचे आतंकवादी ने ही शुक्रवार को गोलीबारी शुरू की। यह गोलीबारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव रैली के लिए यहां पहुंचने से पहले शुरू हुई।

गोलीबारी अब बंद हो चुकी है। पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पिंड खोटे गांव में सेना के खाली पड़े बंकर को सेना के टैंकों ने भारी गोलाबारी कर नष्ट कर दिया, जहां एक आतंकवादी छिपा था और गोलीबारी कर रहा था।

अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ में अब तक 11 लोगों की मौत हो गई। सुरक्षाबलों ने जहां चार आतंकवादियों को मार गिराया, वहीं इस मुठभेड़ में चार आम नागरिकों की जान भी चली गई और सेना के तीन जवान शहीद हो गए।

आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई खत्म हो गई है। सभी आतंकी पाकिस्तान से घुसपैठ कर भारत में दाखिल हुए थे। हमले के लिए आतंकियों ने जिस बंकर का इस्तेमाल किया उसे सेना सिर्फ युद्ध के हालात में इस्तेमाल करती है और अभी वह खाली पड़े थे।

आतंकी कहां से आए थे इसको लेकर अलग -अलग तरह की बातें कही जा रही हैं। सेना और पुलिस कहती है कि वे फेनसिंग को पार कर आए थे। पर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी इसे मानने के राजी नहीं हैं। बीएसएफ के मुताबिक, कहीं कोई तारंबदी से छेड़खानी का निशान नहीं मिला है।

हालांकि ऐसा ही दावा चार साल पहले भी बीएसएफ ने तब भी किया था, जब आतंकी सांबा सेक्टर से दाखिल हुए थे और उन्होंने 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। ये अलग बात है कि दिल्ली में बुधवार को ही बीएसएफ के डीजी में दावा किया कि पिछले 2-3 सालो में जिस भारत-पाक सीमा पर बीएसएफ तैनात है वहां से कोई घुसपैठ नही हुई है।

हालांकि पिछले साल सांबा छावनी में आतंकियों द्वारा किए गए फिदाइन हमले में सेना ने अपने बचाव के लिए टैंकों का इस्तेमाल किया था, लेकिन यह पहला अवसर था जब सेना को इन टैंकों से बकायदा गोले भी इसलिए दागने पड़े, क्योंकि जिस बंकर में आतंकी छुप गए थे उसे टैंक के गोले ही उड़ा सकते थे।

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