कश्मीर घाटी में कुछ आतंकवादियों ने भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान ऐसी आर्मर पियर्सिंग बुलेट का प्रयोग किया, जिन्होंने जवानों की बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदा दिया. ये गोलियां अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा बचे हुए अमेरिकी हथियारों का हिस्सा हैं, जो कि आतंकवादियों तक पहुंचाई गई है. वहीं अब इन बुलेट से बचने के लिए सेना के जवानों के लिए आधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट के ऑर्डर दिए गए हैं.
सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया कि "आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों के खिलाफ कवच भेदी गोलियों का इस्तेमाल किया और ये गोलियां कुछ सैनिकों द्वारा पहने गए बुलेटप्रूफ जैकेट को पार करने में सक्षम थी. आतंकवादियों को उन्नत मेड इन कनाडा नाइट साइट्स का उपयोग करते हुए भी पाया गया है, जो कि नाटो सैनिकों का बचा हुआ स्टॉक है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर सेना के शीर्ष अधिकारियों ने अप्रैल में आयोजित सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान चर्चा की थी.
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आर्मर-पियर्सिंग बुलेट या स्टील कोर बुलेट गोलियां ऑपरेशन करने वाले सैनिकों के लिए समस्याए पैदा कर सकती हैं. श्रीनगर स्थित चिनार कोर के शीर्ष अधिकारी ने एएनआई को बताया कि "आतंकवादियों ने मुठभेड़ों के दौरान इन गोलियों का इस्तेमाल किया है. हम अब तक स्तर 3 जैकेट का उपयोग कर रहे थे और अब से, हमें जल्द ही स्तर 4 जैकेट मिल जाएंगे जो इन गोलियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं." ये जैकेट आर्मर पियर्सिंग बुलेट का सामना आसानी से कर लेगी.
एक रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी सेना लगभग 7-8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार और उपकरण अफगानिस्तान में छोड़कर गई है. जिनमें हेलीकॉप्टर, पैदल सेना के लड़ाकू वाहन, संचार उपकरण और अन्य हथियार शामिल हैं.
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