केंद्र की 'अग्निपथ योजना' से पहले सेना और वायु सेना में भर्ती प्रक्रिया का मामले सुप्रीम कोर्ट से उम्मीदवारों को राहत नहीं मिली है. अग्निपथ योजना से पहले भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले उम्मीदवारों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता भर्ती के लिए निहित अधिकारों का दावा नहीं कर सकते. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इन याचिकाओं को खारिज कर दिया था. याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि 2021 की भर्ती प्रक्रिया में भाग ले चुके थे, लेकिन जून 2022 में अग्निपथ योजना के आने के बाद इनकी भर्ती रोक दी गई. इसलिए इस योजना ने उनकी नियुक्ति के मौके को रोक दिया.
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, "भर्ती प्रक्रिया शुरू करने ने कोई प्रॉमिसरी एस्टॉपेल या वैध अपेक्षा नहीं बनाई. याचिकाकर्ता इसमें 'निहित अधिकारों' का दावा नहीं कर सकते."
वहीं, केंद्र की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कोविड-19 समय के दौरान सभी प्रकार के मुद्दे थे. ये असाधारण समय था जिनसे संस्थान निपट रहे थे. यह चुनने और भर्ती की प्रक्रिया नहीं है. हमें रक्षा और राष्ट्रहित के हित में रिक्तियों को भरना था. अत्यावश्यकताओं के कारण हमें इस तरह से भर्तियों को संशोधित करने की आवश्यकता थी.
दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्निपथ योजना को बरकरार रखते हुए थलसेना और वायु सेना द्वारा पूर्व में शुरू की गई भर्ती प्रक्रियाओं को पूरा करने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था. अग्निपथ योजना को बरकरार रखने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. 27 फरवरी को केंद्र सरकार की बड़ी जीत हुई थी. अग्निपथ योजना वैध करार दी गई थी.
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया था. 'अग्निपथ योजना' की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज कर दी गई थीं. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच का फैसला आया था. हाईकोर्ट ने उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया था, जिन उम्मीदवारों ने योजना के तहत भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया था.
सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना पिछले साल 14 जून को शुरू की गई. योजना के नियमों के अनुसार, साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के लोग आवेदन करने के पात्र हैं और उन्हें चार साल के कार्यकाल के लिए शामिल किया जाएगा. योजना के तहत, उनमें से 25 प्रतिशत की सेवा नियमित कर दी जाएगी. अग्निपथ की शुरुआत के बाद इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध शुरू हो गया था. बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया. मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट समेत कई हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश दिए थे.
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