अरावली में एक तरफ नए खनन पट्टों की अधिसूचना से पर्यावरणीय खतरा बढ़ा है. वहीं दूसरी तरफ सरकार ने अवैध खनन के खिलाफ बड़े स्तर पर संयुक्त अभियान चलाने का निर्णय लिया है. अरावली पर्वतमाला को लेकर एक तरफ खनन पट्टों की नई अधिसूचनाएं चिंता बढ़ा रही हैं तो दूसरी तरफ राज्य सरकार अवैध खनन पर सख्ती का दावा कर रही है. खनन विभाग ने हाल ही में 126 नए खनन पट्टों के लिए नोटिफिकेशन जारी किए गए हैं. इनमें से 50 पट्टे अरावली क्षेत्र के जिलों में बताए जा रहे हैं. अलवर, सिरोही और भीलवाड़ा जैसे जिलों में पहले से ही 250 से ज्यादा खनन पट्टे मौजूद हैं.
अरावली पर्यावरण संकट से जुड़े सवाल
विभागीय अधिकारियों के अनुसार, अरावली क्षेत्र के अधिकांश खनन पट्टे कानूनी विवादों में हैं और कई मामले अदालतों में लंबित हैं. इसके बावजूद नए पट्टों की प्रक्रिया ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि नए प्रतिबंध पुराने लाइसेंसों पर लागू नहीं होते, जिससे सैकड़ों खदानें पहले की तरह चलती रहेंगी. खनन के चलते अरावली क्षेत्र में कई जगह पहाड़ खोखले हो चुके हैं, जंगलों का दायरा घट रहा है और प्राकृतिक जल निकासी तंत्र प्रभावित हुआ है. विशेषज्ञ मानते हैं कि कई इलाकों में यह नुकसान अब अपूरणीय स्तर तक पहुंच चुका है.
10 हजार से ज्यादा खनन पट्टे संचालित
आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल 16,116 खनन पट्टों में से 10,060 फिलहाल संचालित हैं और करीब 18 हजार क्वारी लाइसेंस भी सक्रिय हैं. अरावली क्षेत्र में सबसे ज्यादा खनन उदयपुर जिले में हुआ है. अरावली को लेकर जारी सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अवैध खनन के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत बड़े स्तर पर संयुक्त अभियान के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री के आदेश पर अरावली पर्वतमाला क्षेत्र के 20 जिलों में 29 दिसंबर से 15 जनवरी 2026 तक खान, राजस्व, पुलिस, परिवहन और वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई चलेगी.
अरावली में अवैध खनन के खिलाफ अभियान
अभियान का समन्वय जिला कलेक्टर स्तर पर किया जाएगा. समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पर कार्रवाई सिर्फ कागजी नहीं, बल्कि जमीन पर दिखाई देनी चाहिए. प्रमुख खान सचिव टी रविकान्त ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्रवाई केवल अवैध परिवहन तक सीमित न रहे, बल्कि अवैध खनन के स्रोत और स्थान की पहचान कर मशीनरी जब्ती जैसी सख्त कार्रवाई की जाए.
लेकिन सवाल यही है कि जब अरावली में नए खनन पट्टों की अधिसूचनाएं जारी हो रही हैं, तब अवैध खनन पर सख्ती का दावा कितना प्रभावी होगा. आने वाले दिनों में संयुक्त अभियान के नतीजे ही तय करेंगे कि सरकार की नीति अरावली संरक्षण की दिशा में कितना ठोस कदम साबित होती है.
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