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This Article is From Nov 20, 2023

"बिजली चोर" के आरोप से नाराज़ कुमारस्वामी ने CM सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा

कर्नाटक कांग्रेस ने 13 नवंबर को एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया. वीडियो 12 नंवबर यानि दीपावली का था. इसमें कुमारस्वामी के बेंगलुरु के जेपी नगर का घर दिखाया गया, जिसमें सजावट के लिए बिजली सीधे पोल से जोड़ी गई थी.

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"बिजली चोर" के आरोप से नाराज़ कुमारस्वामी ने CM सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा
क्यों नहीं बनती सिद्धारमैया और कुमारस्वामी की...
नई दिल्‍ली:

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने  मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने एक वीडियो क्लिप जारी की इस दावे के साथ कि सिद्धारमैया के बेटे डॉ. यतीन्द्रा फ़ोन पर पहले सिद्धारमैया से रूबरू थे, बाद में महादेवप्पा नाम के एक अधिकारी के साथ उसी फ़ोन लाइन पर निर्देश दे रहे है कि काम उन्हीं का होना चाहिए, जो लिस्ट उन्होंने भेजी है. कुमारस्वामी ने दावा किया कि ये मामला पैसे लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग का है. इसके जवाब में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दावा किया कि " मैंने कभी भी रुपये लेकर ट्रांसफर पोस्टिंग की पैरवी नहीं की है और अगर कोई मुझे गलत साबित कर दे तो मैं राजनीति से सन्यांस ले लूंगा".

इस बातचीत के बारे में सिद्धारमैया ने कहा कि उनके बेटे पूर्व विद्धायक है और बातचीत एक स्कूल के निर्माण कार्य के सिलसिले में हो रही थी. लेकिन कुमारस्वामी ने इसे झूठ क़रार दिया. रविवार यानी 19 नवंबर को एक बार फिर  ट्वीट करके अपने आरोपो को दुहराया. जब सिद्धारमैया से कुमारस्वामी के सोशल मीडिया के ज़रीए उनपर लगाये जा रहे आरोप पर प्रतिक्रिया मांगी तो सिद्धारमैया ने कहा, "कुमारस्वामी ने अपने मुख्यमंत्री काल में जो किया उसी को दोहरा रहे है, मैं अब उनके आरोपो पर प्रतिक्रिया नही दूंगा जो बोलना है बोले...."

विवाद की पृष्ठभूमि
दरअसल, कर्नाटक कांग्रेस ने 13 नवंबर को एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया. वीडियो 12 नंवबर यानि दीपावली का था. इसमें कुमारस्वामी के बेंगलुरु के जेपी नगर का घर दिखाया गया, जिसमें सजावट के लिए बिजली सीधे पोल से जोड़ी गई थी. कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर इस वीडियो को जारी कर कहा कि राज्य में 200 यूनिट बिजली मुफ्त है. कुमारस्वामी को इसके लिए आवेदन देना चाहिए, बिजली चोरी करने की क्या ज़रूरत थी? कुमारस्वामी ने कहा कि सजावट के लिए बुलाए गए वेंडर ने बगैर उनकी जानकारी के कनेक्शन दिया. इसका उन्हें खेद है.
लेकिन बाद में कुमास्वामी पर बिजली विभाग के निगरानी सेल ने बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज कर दिया. कुमारस्वामी नाराज़ हो गये. उन्हें एक हफ्ते के अंदर 68,000 रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया. कुमास्वामी ने जुर्माना भर दिया, लेकिन इससे पहले जेडीएस के दफ्तर पर किसी ने पोस्टर लगा दिया टाइटल था "बिजली कल्ला" यानी बिजली चोर. पोस्टर तो फौरन हटा दिया गया, लेकिन कुमास्वामी भड़क गए और अब उन्होंने सिद्धारमैया के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी है.

क्यों नहीं बनती सिद्धारमैया और कुमारस्वामी की...
सिद्धारमैया और कुमारस्वामी दोनो में अनबन 2004-2005 में शरू हुई थी. कांग्रेस और जेडीएस ने यहां साझा सरकार बनाई. मुख्यमंत्री कांग्रेस के धरम सिंह बने और उप मुख्यमंत्री जेडीएस के सिद्धारमैया. जेडीएस सुप्रीमो देवेगौड़ा अपने बेटों को पार्टी में तरजीह देने चाहते थे, लेकिन पार्टी पर देवेगौड़ा के बाद सिद्धारमैया की पकड़ मजबूत थी. ऐसे में देवेगौड़ा और कुमास्वामी कि नज़र में सिद्दरामैया खटकने लगे. कुमारस्वामी को लगा कि अगर सिद्धारमैया नहीं होते, तो मुख्यमंत्री कुमारस्वामी होते. ऐसे में 2005 आते-आते सिद्धारमैया का क़द पार्टी में छोटा करने की कवायद शरू हो गई. सिद्धारमैया की कम चलने लगी. दोनों के बीच अनबन की खबर आने लगी. इसके बाद सिद्धारमैया ने जेडीएस का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया. वो 2006 में कांग्रेस में शामिल हो गए. तब तक अपने ओबीसी समाज यानी कुरबा के वो सबसे बड़े नेता बन चुके थे. 2008 में सिद्धारमैया को विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर विपक्ष का नेता बनाया गया और 2013 में  सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा किया.

7 लाख रुपये की हबलोट घड़ी चुराने का सिद्धारमैया पर आरोप
फरवरी 2016 में कुमारस्वामी ने आरोप लगाए की सिद्धारमैया की 7 लाख रुपये की हबलोट घड़ी वैसी ही घड़ी है, जो दुबई के एक डॉक्टर के घर से चोरी हुई थी और कुमास्वामी इस मामले की सीबीआई जांच चाहते थे. लेकिन जिस डॉक्टर का कुमास्वामी ने नाम लिया, उसने कभी शिकायत दर्ज नही करवाई. ऐसे में मामला खत्म हो गया.

2018-2019 में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के समय रिश्ते और बिगड़े
एक बार फिर 2018 में जेडीएस और कांग्रेस ने साझा सरकार कुमास्वामी के नेतृत्व में बनाई. सिद्धारमैया इस गठबन्ध के खिलाफ थे, खासकर इस लिए क्योंकि गठबन्धन का नेतृत्व कुमारस्वामी के हाथों में सौंपा जा रहा था. किसी तरह मान मनुव्वल के बाद सरकार तो बन गई, लेकिन तक़रार और गुटबाज़ी शरू हो गयी. डेढ़ साल के अंदर सरकार गिर गई, जो 17 विधायक कांग्रेस, जेडीएस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए, उनमें से ज्‍यादातर सिद्धारमैया के समर्थक थे. ऐसे में सिद्धारमैया पर  कुमास्वामी के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने का आरोप लगा.

कुल मिलाकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कुमारस्वामी  की राजनीतिक प्रतिस्पर्धा अब व्यक्तिगत विरोध की तरफ बढ़ गई है. ऐसे में आने वाले दिनों में दोनों के बीच बढ़ती कटुता की वजह से राजनीतिक खींचतान और बढ़ेगी.

ये भी पढ़ें :- ट्रांसफर के एक भी मामले में पैसे लेने का आरोप साबित हुआ तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा : सिद्धारमैया

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