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This Article is From May 01, 2024

जासूसी उपग्रह तकनीक से पानी में मच्छरों के लार्वा पता लगा रहा है एक भारतीय स्टार्टअप

एक भारतीय स्टार्टअप ने मच्छरों के प्रजनन का पता लगाने के लिए जासूसी और निगरानी उपग्रह तकनीकी को और बेहतर बनाया है. गर्मी और मानसून के दौरान मच्छरों का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है. दुनिया के 85 देशों में करीब 25 करोड़ लोग मच्छरजनित रोगों से पीड़ित हैं.

जासूसी उपग्रह तकनीक से पानी में मच्छरों के लार्वा पता लगा रहा है एक भारतीय स्टार्टअप
नई दिल्ली:

एक भारतीय स्टार्टअप ने मच्छरों के प्रजनन का पता लगाने के लिए जासूसी और निगरानी उपग्रह तकनीकी को और बेहतर बनाया है. गर्मी और मानसून के दौरान मच्छरों का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है. दुनिया के 85 देशों में करीब 25 करोड़ लोग मच्छरजनित रोगों से पीड़ित हैं.

कैसी है मच्छरों के लार्वा का पता लगाने वाली तकनीक

मच्छर पानी में पनपते हैं, ऐसे में उपग्रहों और ड्रोनों की मदद से उनका पता लगाना कठिन काम होता है, लेकिन कोलकाता के शिशिर राडार नाम की एक कंपनी ने कंटेनरों और पानी वाली जगहों पर मच्छरों के लार्वा होने का पता लगाने के लिए एक तकीनीक विकसित की है.यह उच्च-स्तरीय हाइपर-स्पेक्ट्रल इमेजिंग तकनीक पर आधारित है.इसमें एक खास तरह के कैमरों को ड्रोन पर लगाकर उन्हें उड़ाया जाता है. 

इस तकनीकी के नतीजों के बारे में शिशिर रडार ने कहा, ''हाइपरस्पैक्टिकल इमेजिंग के जरिए मच्छरों के लार्वा का पका लगाने के शुरूआती नतीजों को आपसे साझा करते हुए काफी खुशी हो रही है.हमने साफ पानी और मच्छर के लार्वा वाले पानी को मिट्टी के घड़े और प्लास्टिक के बर्तन में रखा.हमारे ड्रोन पर लगे हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजर ने 15 मीटर की ऊंचाई से उनकी फोटो खींची. यह ऊंचाई कोलकाता में एक पांच मंजिला घर के बराबर है.हमारा मानना है कि यह शोध पानी में लार्वा के स्रोत का पता लगाने में काफी मदद करेगा और नियंत्रित तरीके से कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकेगा.''

मच्छर लेते हैं कितने लोगों की जान

तपन मिश्र भारत में जासूसी उपग्रहों के जनक माने जाते हैं. वो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ईसरो)के अहमदाबाद स्थित स्पेश एप्लिकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक हैं. मिश्र ने ही शिशिर रडार की स्थापना की है. उन्होंने कहा कि आजकल कीटनाशकों का छिड़काव मनमाने तरीके से किया जाता है. इसमें हमारे जल निकायों और उसमें रहने वाले जीवों को अनावश्यक रूप से जहर दे दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हमारा शोध न केवल लार्वा के चरण में ही मच्छरों को खत्म करने का काम करेगा, बल्कि इससे हमारे पर्यावरण को भी लाभ होगा.इससे डेंगू और मलेरिया से होने वाली मौतों को भी कम किया जा सकेगा.

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि दुनिया के 85 देशों में 25 करोड़ लोग मच्छरजनित बीमारियों से पीड़ित हैं. इनमें से छह लाख लोगों की मौत हो जाती है

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