केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हुई सर्वदलीय बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले दिन से ही मणिपुर की स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और समस्या का समाधान निकालने के लिए ‘‘पूरी संवेदनशीलता के साथ हमारा मार्गदर्शन'' कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि शाह ने बैठक में कहा कि मणिपुर में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और 13 जून के बाद से राज्य में हिंसा में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है.
गृह मंत्री ने स्थिति को सामान्य करने और मणिपुर में विभिन्न समुदायों के बीच जल्द से जल्द शांति और विश्वास बहाल करने में मदद के लिए सभी राजनीतिक दलों से सहयोग का आग्रह किया. सूत्रों ने बताया कि शाह ने बैठक में कहा कि मोदी सरकार सभी को साथ लेकर मणिपुर समस्या का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने बताया कि शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पहले दिन से ही मणिपुर की स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और समस्या का समाधान निकालने के लिए ‘‘पूरी संवेदनशीलता के साथ हमारा मार्गदर्शन'' कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की प्राथमिकता यह है कि राज्य में हिंसा के कारण और किसी की जान न जाए.
मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच तीन मई को भड़की हिंसा में अब तक लगभग 120 लोगों की मौत हो चुकी है और तीन हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं. मणिपुर के हालात पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक हुई.
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि मणिपुर में हिंसा के मामले में जवाबदेही तय की जाए और शांति सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पद से हटाया जाए. सर्वदलीय बैठक के बाद मणिपुर के लिए भाजपा के प्रभारी संबित पात्रा ने संवाददाताओं को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर मणिपुर में शांति बहाली के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं.
पात्रा के अनुसार, गृह मंत्री ने बैठक में यह भी कहा कि जब से राज्य में हिंसा शुरू हुई है, तब से ‘एक भी दिन ऐसा नहीं है', जब उन्होंने स्थिति पर प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत न की हो या प्रधानमंत्री ने निर्देश न दिए हों. विपक्षी दल मणिपुर के हालात के लिए केन्द्र की आलोचना करते रहे हैं और कहते रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मामले पर ‘‘चुप'' क्यों हैं.
शाह ने कहा कि मणिपुर में 40 आईपीएस अधिकारियों सहित 36,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं, जबकि 20 चिकित्सा दलों को भी भेजा गया है. उन्होंने कहा कि दवाओं सहित सभी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है.
शाह ने बैठक में कहा कि म्यामां-मणिपुर सीमा के 10 किलोमीटर दायरे में बाड़ लगाने का काम पूरा हो चुका है. उन्होंने मणिपुर मुद्दे के समाधान के लिए ‘‘सार्थक सुझाव'' देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और सरकार की ओर से सभी राजनीतिक दलों का आभार व्यक्त किया.
सूत्रों ने बताया कि भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने बैठक में कहा कि मणिपुर समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालने के लिए केंद्र और गृह मंत्री की ओर से हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं. नड्डा ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी पहले दिन से ही इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं.
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सभी राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए सार्थक सुझावों पर खुले दिमाग से चर्चा की और उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार समस्या के समाधान के लिए हरसंभव कदम उठाएगी. नड्डा ने कहा कि गृह मंत्री स्वयं चार दिन तक मणिपुर में रहे और सभी समूहों के साथ विस्तृत चर्चा की और राहत शिविरों का दौरा किया. उन्होंने कहा कि गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय वहां 20 दिन से अधिक समय तक रहे.
नड्डा के हवाले से सूत्रों ने कहा, ‘‘मोदी सरकार स्थिति को सामान्य करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है, हमें यकीन है कि मणिपुर में जल्द ही शांति का माहौल लौटेगा.''
बैठक में भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन, मेघालय के मुख्यमंत्री एवं नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता कोनराड संगमा, शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी, अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) नेता एम. थंबी दुरई, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता तिरुचि शिवा, बीजू जनता दल (बीजद) के नेता पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा शामिल हुए.
बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी, नित्यानंद राय और अजय कुमार मिश्रा, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका भी शामिल हुए. मणिपुर की स्थिति से निपटने को लेकर केंद्र पर सवाल खड़ा करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने हिंसा प्रभावित राज्य में एक सप्ताह भीतर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की मांग की. उसने प्रश्न किया कि क्या सरकार ‘‘मणिपुर को कश्मीर बनाने की कोशिश कर रही है''.
कांग्रेस की ओर से इस बैठक में मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह शामिल हुए. उन्होंने पार्टी की ओर से आठ बिंदु बैठक में रखे जिनमें मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग शामिल है. कांग्रेस ने बैठक को ‘‘औपचारिकता'' करार देते हुए कहा कि केंद्र को प्रदेश में शांति बहाली के लिए गंभीर पहल करनी चाहिए और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का तत्काल इस्तीफा लिया जाना चाहिए.
इबोबी सिंह ने कहा कि बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री रहते शांति संभव नहीं है. पात्रा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बैठक में अपने बयान में अमित शाह जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि तीन मई को हिंसा शुरू होने के बाद से एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा, जब उन्होंने प्रधानमंत्री से बात न की हो.'' उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के निर्देश पर राज्य में शांति बहाली के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.''
भाजपा नेता ने कहा कि राज्य में शांति बनाए रखने के प्रयास जारी हैं. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे लिए अच्छी खबर यह है कि 13 जून के बाद से किसी की जान नहीं गई है. राज्य में शांति कायम रखने के प्रयास जारी हैं.'' पात्रा ने कहा कि बैठक में गृह मंत्रालय ने एक प्रस्तुतीकरण के जरिये बताया कि मणिपुर में हिंसा कैसे शुरू हुई, हिंसा किस कारण से हुई, अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और राज्य में शांति बहाल करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि गृह मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में मौजूद सभी दलों के नेताओं ने अपनी चिंताएं व्यक्त कीं और ‘‘बहुत संवेदनशील तरीके से'' अपने विचार व्यक्त किए. बैठक में मौजूद रहे पात्रा ने कहा, ‘‘सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया कि गृह मंत्री शाह का मणिपुर में तीन दिन और तीन रात का प्रवास एक अभूतपूर्व कदम था, क्योंकि कहीं न कहीं, इससे सकारात्मकता की भावना आई और मणिपुर आगे बढ़ा.''
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