विज्ञापन
This Article is From Mar 07, 2021

US लौटना छोड़ किसानों की सेवा में जुटे हार्ट स्पेशलिस्ट, रोजाना 4000 लोगों का कर रहे फ्री इलाज

डॉ. सिंह ने कहा, "जब मैंने बिना किसी डॉक्टर और बिना दवा के इन लोगों (प्रदर्शनकारी किसानों) की मुश्किलों को देखा तो मैंने अपना इरादा बदल दिया. मुझे लगा कि मैं आशा की किरण था. मुझे यहां आए 3 महीने हो गए हैं."

US लौटना छोड़ किसानों की सेवा में जुटे हार्ट स्पेशलिस्ट, रोजाना 4000 लोगों का कर रहे फ्री इलाज
डॉ. सिंह पिछले 3 महीने से टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों का मुफ्त मेडिकल चेकअप कर रहे हैं
नई दिल्ली:

अमेरिकी हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सवाईमान सिंह ने किसान आंदोलन (Farmers Protest) की वजह से न्यू जर्सी लौटने का अपना प्रोग्राम टाल दिया और दिल्ली की सीमा (Delhi Border) पर केंद्रीय कृषि कानूनों के (Farm Laws) खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में पहुंचकर लोगों का मुफ्त इलाज करने लगे. डॉ. सिंह पिछले तीन महीने से दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों का मुफ्त मेडिकल चेकअप कर रहे हैं और उन्हें दवाई दे रहे हैं.

इस डॉक्टर का टिकरी में एकमात्र सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है, जो वहां मेडिकल कैम्प और  मुफ्त में दवाइयां भी वितरित करता है. डॉ. सिंह ने ANI से कहा, "हम केवल किसानों का ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों, पुलिसकर्मियों और सीआरपीएफ के सभी लोगों का भी इलाज करते हैं. 24 घंटे में हमारे कैंप में औसतन 4,000 से 6,000 लोग इलाज करवाने आते हैं. शिविर रात तक काम करता है. टिकरी में केवल यही सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है."

उन्होंने कहा, "मैं हर साल यहां मेडिकल कैम्प लगाता था, हम लंबे समय से यहां लोगों का इलाज करते आ रहे हैं और वे हमारे परिवार के सदस्य बन जाते हैं. ऐसे ही एक मरीज को धरना-प्रदर्शन के दौरान दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने मुझे बुलाया. मैं उनकी मदद करने के लिए यहां आया था."

किसानों के लिए MSP की मांग करते हुए राहुल गांधी का सरकार पर वार- "जीविका अधिकार है, उपकार नहीं!"

उन्होंने कहा, "तब मैंने सोचा कि यहां और पांच दिन रह जाता हूं और मैंने फिर अपने खर्चे पर यहां डॉक्टरों की टाम के साथ एक मेडिकल कैम्प खोला. अब हमने फिलहाल अमेरिका नहीं लौटने का फैसला किया है और यहीं सेवा करते रहेंगे."

डॉ. सिंह ने कहा, "जब मैंने बिना किसी डॉक्टर और बिना दवा के इन लोगों (प्रदर्शनकारी किसानों) की मुश्किलों को देखा तो मैंने अपना इरादा बदल दिया. मुझे लगा कि मैं आशा की किरण था. मुझे यहां आए 3 महीने हो गए हैं."

राकेश टिकैत का सरकार को 'अल्टीमेटम'- जब तक वापस नहीं होता कृषि कानून, चलता रहेगा किसान आंदोलन 

यह पूछने पर कि क्या अमेरिका में एक अच्छी-खासी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ना और टिकरी में काम करना एक कठिन निर्णय था? उन्होंने कहा, "पैसा मेरे लिए कोई समस्या नहीं थी, मैं भगवान की कृपा से एक अच्छे परिवार से हूं. लोग सड़कों पर मर रहे थे. जीवन में एक समय ऐसा आता है, जहां हमें खुद के बजाय दूसरों के बारे में सोचना पड़ता है. एक डॉक्टर के रूप में मैंने सेवा करने के लिए यह फैसला किया है, यह मेरा कर्तव्य है."

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे: