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This Article is From Nov 26, 2024

इलाहाबाद HC ने राहुल गांधी की नागरिकता पर गृह मंत्रालय से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में इस पीआईएल पर सुनवाई हो रही है. मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी.

नई दिल्ली:

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर गृह मंत्रालय से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. एस विग्नेश शिशिर की पीआईएल पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गृह मंत्रालय से ये रिपोर्ट मांगी है.

गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जांच के बाद कोर्ट को अवगत कराया जाएगा. फिलहाल ये प्रकिया में है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में इस पीआईएल पर सुनवाई हो रही है. मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी.

दावा किया गया है कि विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी के पास यूनाइटेड किंगडम (यूके) की नागरिकता है.

न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने कर्नाटक के एस. विग्नेश शिशिर द्वारा दायर याचिका पर ये आदेश पारित किया है, इसमें गांधी की नागरिकता मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की गई थी. अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.बी. को निर्देश दिया.

याचिका दाखिल करने वाले विग्नेश शिशिर ने कहा कि 25 नवंबर को मुकदमा सुनवाई के लिए आया था. गृह मंत्रालय अब इसकी जांच कर रही है. भारत सरकार की तरफ से कार्रवाई चल रही है.

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उन्होंने कहा कि माननीय न्यायाल ने आदेश दिया है कि 3 हफ्ते के अंदर 19 दिसंबर को इस पर फाइनल डिसीजन लिया जाए कि अगर ऐसा है तो क्या कार्रवाई हो. कोर्ट ने कहा है कि सभी एविडेंस 19 दिसंबर को प्रस्तुत किए जाएं.

शिशिर ने कहा कि मुझे विश्वास है कि जो भी डॉक्युमेंट्स हमने दिया है उसके आधार पर राहुल गांधी की नागरिकता कैंसिल होगी.

जुलाई 2024 में हाईकोर्ट ने शिशिर को इसी तरह की याचिका वापस लेने की अनुमति दी थी और उन्हें नागरिकता अधिनियम के तहत उपाय अपनाने की स्वतंत्रता दी थी. शिशिर ने अब अपने रिप्रजेंटेशन पर निर्णय के लिए फिर से उच्च न्यायालय का रुख किया है. शिशिर ने अदालत को सूचित किया कि उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी पिछली याचिका वापस लेने के बाद, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी को दो रिप्रेजेंटेशन पेश किए.

इन रिप्रजेंटेशनों में राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता के आधार पर उनकी भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग की गई. शिशिर ने इस मामले की सीबीआई जांच का भी अनुरोध किया है. अदालत ने स्पष्ट किया था कि उसका वर्तमान ध्यान पूरी तरह से इस पर था कि क्या केंद्र को अभ्यावेदन प्राप्त हुआ था और वो क्या निर्णय या कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखता है.

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