एक साथ चुनाव की व्यवहार्यता की पड़ताल करने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति के सदस्य कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने सोमवार को कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर निर्णय से पहले सभी राजनीतिक दलों से परामर्श किया जाएगा. आजाद ने यहां पत्रकारों से कहा, “केवल एक प्रारंभिक बैठक हुई है. यह एक परिचयात्मक बैठक थी. मुझे नहीं लगता कि इसे लागू करने में कोई जल्दबाजी है, जैसा कि कुछ लोग कह रहे हैं. राष्ट्रीय दलों, क्षेत्रीय दलों, मान्यता प्राप्त दलों से विचार-विमर्श किया जाना है. (परामर्श के लिए) कई लोगों को बुलाया जाएगा.''
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के सदस्य आजाद ने कहा, “यह सोचना भी गलत है कि समिति अपने आप निर्णय लेगी. सभी की राय ली जाएगी.”
महिला आरक्षण विधेयक पर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष ने कहा कि विधेयक 30 साल देरी से आया, लेकिन संसद के दोनों सदनों में विधेयक पारित करने के वास्ते हठधर्मिता छोड़ने के लिए राजनीतिक दलों की सराहना की.
उन्होंने कहा, “देर हो गयी है. इसे 15 से 20 साल पहले आना चाहिए था... इसे 30 साल पहले भी आना चाहिए था. पहले की कोशिशों जैसे संप्रग के दौरान भी कुछ घटक दल इसके खिलाफ थे.
उन्होंने कहा, 'कोई सर्वसम्मति नहीं थी. अब, कम से कम सर्वसम्मति है, और इसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित किया गया. सरकार और सभी दल, जो अपने रुख पर अड़े नहीं रहे और इस बार विधेयक का समर्थन किया, वे इसके लिये बधाई के हकदार हैं.'
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने में 'देरी' पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का सार हैं और चुनाव होने चाहिए, भले ही इनमें देरी हुई हो.
उन्होंने कहा, “यह अकल्पनीय है कि कोई चुनाव नहीं होगा. अगर चुनाव नहीं होंगे, तो लोकतंत्र नहीं होगा.''
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